38.1 C
Nagpur
Saturday, April 19, 2025

बेशकीमती ऑस्कर अवॉर्ड बेचकर भरपेट खाना भी है मुश्किल, क्या आप जानते हैं कितनी है ट्रॉफी की कीमत

सोने सी चमचमाती ऑस्कर की ट्रॉफी को हाथों में उठाने के लिए सितारे बरसों मेहनत करते हैं.

क्या आप जानते हैं जिस ऑस्कर की खातिर हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड और पूरी दुनिया के क्रिएटिव लोग इस कदर मेहनत करते हैं. उस ट्रॉफी की कीमत क्या है. कीमत जानकर आपके भी होश गुम हो जाएंगे.

सोने सी चमचमाती ऑस्कर की ट्रॉफी को हाथों में उठाने के लिए सितारे बरसों मेहनत करते हैं. जिन सितारों की चकाचौंध में आम आदमी गुम हो जाता है. उन सितारों को बस एक ही चमक भाती है. वो चमक है ऑस्कर की सुनहरी ट्रॉफी की. जिसे पाना इतना आसान नहीं है.

चाहे कितने ही मंझे हुए डायरेक्टर हों, कितने ही उम्दा कलाकार हों और कितनी ही शिद्दत से फिल्म तैयार की गई हो. ऑस्कर की रेस में शामिल होना और फिर उस रेस को जीत लेना सबके बस की बात नहीं होती. और, जो इस रेस को जीत जाता है वो खुद को वाकई  हुनरमंद मान लेता है.

क्या आप जानते हैं जिस ऑस्कर की खातिर हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड और पूरी दुनिया के क्रिएटिव लोग इस कदर मेहनत करते हैं. उस ट्रॉफी की कीमत क्या है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि उस ट्रॉफी के बदले आपको भरपेट खाना तो दूर की बात एक मनपसंद डिश भी नहीं मिल सकेगी.

Oscars

सौ रुपये से भी कम है कीमत

ऑस्कर की जगमगाती और सुनहरी ट्रॉफी देखकर आपको क्या लगता है. इसकी कीमत कितनी होगी. शायद आप हजारों, लाखों और करोड़ों में गिनती शुरू कर दें.

गिनती को बहुत आगे बढ़ाने से पहले जान लीजिए इस ट्रॉफी की कीमत बमुश्किल एक डॉलर है.

एक डॉलर यानी कि 81.89 रु.. जिसके बदले आपको एक वक्त भरपेट खाना तो दूर की बात जीभर कर फेवरेट डिश खाने का मौका भी नहीं मिलेगा. उसके बावजूद सितारे इसके दीवाने हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं इतनी सस्ती ट्रॉफी को कोई भी बड़े से बड़े सितारा चाह कर भी बेच नहीं सकता न नीलाम कर सकता है.

ऑस्कर के नियम

ऑस्कर की ट्रॉफी भले ही सस्ती हो लेकिन इसे हासिल करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं. इसके बाद इसे बेचने या नीलाम करने की कोशिश और भी भारी पड़ सकती है.

ऑस्कर की ट्रॉफी को बेचने का नीलाम करने की इजाजत किसी को भी नहीं है. अगर कोई जीतने के बावजूद ये ट्रॉफी नहीं  रखना चाहता तो उसे एक डॉलर में ही इस एकेडमी को ही बेचना होगा.

इससे भी ज्यादा ताज्जुब की बात ये है कि ऑस्कर को बनाने में 32 हजार रु तक खर्च होते हैं. लेकिन इसे खरीदने की कीमत एकेडमी ने सिर्फ एक डॉलर ही तय की है.

कैसे बनता है ऑस्कर?

ऑस्कर को ये सुनहरी रंगत सॉलिड ब्रॉन्ज से मिलती है. इसके बाद इस ट्रॉफी को 24 कैरेट सोने से कोट कर दिया जाता है. हालांकि तकनीक के साथ साथ इसे बनाने के तरीके भी बदले हैं.

इसे थ्री प्रिंटर से बनाकर वैक्स से कोट किया जाता है. जब वैक्स ठंडा हो जाता है तब इसे सिरेमिक शेल से कोट कर दिया जाता है.

फिर ये ट्रॉफी कुछ दिन तक 1600 डिग्री F पर रख कर तपाई जाती है. तब कही जाकर ये लिक्विड ब्रॉन्ज में ढलती है. इसे ठंडा करने के बाद इस पर सोने का पानी चढ़ाया जाता है.

हर ट्रॉफी की लंबाई 13.5 इंच और वजन 8.5 पाउंड होता है. एक एक ट्रॉफी को बनने में 3 महीने तक का समय लगता है.

Hot this week

Topics

KKSU Ramtek : कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय ‘त्रियोदश दीक्षांत समारोह’ 16 अप्रैल 2025 को

ASN.कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय त्रियोदश दीक्षांत समारोह बुधवार को...

गोंदिया-बल्हारशाह दोहरीकरण परियोजना दोहरी पटरी वाली : अश्विनी वैष्णव, रेलमंत्री

विदर्भ और मराठवाड़ा के कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों...

Tahawwur Rana in India : मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा NIA की कस्टडी में

ASN. मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img