Milk Powder Side Effects : नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध यानी की स्तनपान की सबसे उत्तम आहार होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो बच्चे 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पीते हैं उन्हें बीमारियों का खतरा कई गुणा कम होता है। हालांकि आजकल की लाइफस्टाइल, खानपान का सही तरीका न होना और नौकरी पेशा महिलाओं को शिशुओं को स्तनपान करवाने में मुश्किलें आती हैं। ऐसे में बच्चे को मिल्क पाउडर दिया जाता है।
शिशुओं को मिल्क पाउडर देने वाली महिलाएं अक्सर ये सवाल पूछती हैं कि क्या इसे बच्चे को देना सुरक्षित है? क्या मिल्क पाउडर देने से शिशु की सेहत को किसी तरह का नुकसान हो सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने दिल्ली स्थित सीके बिरला अस्पताल की गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका से बात की।
क्या शिशु को Milk Powder देना सही है?
डॉ. प्रियंका का कहना है कि 6 महीने तक के शिशुओं को सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क ही देना चाहिए। मां के दूध से शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास सही तरीके से होता है। हालांकि कुछ स्थिति में अगर कोई महिला के स्तन में दूध नहीं बनता है तो ऐसे में मिल्क पाउडर दिया जा सकता है। डॉक्टर का कहना है कि 6 महीने से कम उम्र के शिशु को मिल्क पाउडर हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद देना चाहिए।
शिशुओं को Milk Powder पिलाने के नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि शिशु को मिल्क पाउडर दिया जाए तो इससे सेहत को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
एंटीबॉडी की कमी
जो बच्चे मां का दूध पीते हैं उनके शरीर में एंटीबॉडीज अच्छी तरह से डेवलेप होते हैं। वहीं, मिल्क पाउडर पीने वाले बच्चों में एंटीबॉडी की कमी देखी जाती है। एंटीबॉडी की कमी की वजह से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसकी वजह से बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है। डॉक्टर का कहना है जिन बच्चों की एंटीबॉडी कम या कमजोर होती है उन्हें सर्दी, खांसी, जुकाम और पाचन संबंधी समस्याएं ज्यादा होती हैं।
पेट में दर्द और डायरिया
मिल्क पाउडर को कई तरह के केमिकल्स वाले प्रोसेस से बनाया जाता है, जिसकी वजह से इसे पचाना मुश्किल होता है। ये बात सब जानते हैं कि छोटे बच्चे की पाचन क्रिया काफी कमजोर होती है। ऐसे में अगर उन्हें मिल्क पाउडर दिया जाए तो ये दस्त, पेट में दर्द और उल्टी का कारण बन सकता है। प्रोसेसिंग होने की वजह से मिल्क पाउडर को पचाने में भी काफी वक्त लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कई बार छोटे बच्चे दूध पीने के तुरंत बाद ही उल्टी कर देते हैं, जो इस बात का संकेत है कि उन्हें मिल्क पाउडर को पचाने में मुश्किलें आ रही हैं।
शारीरिक तौर पर होता है कमजोर
6 महीने के शिशुओं को अगर मिल्क पाउडर दिया जाए तो वो एक आम बच्चे के मुकाबले शारीरिक तौर पर कमजोर हो सकते हैं। ऐसे शिशुओं का वजन, लंबाई भी औसत से कम हो सकती है। डॉक्टर का कहना है कि मिल्क पाउडर पीने वाले बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी कम बनती है, जिससे वो बार-बार बीमार पड़ते हैं। ज्यादा बीमार होने का प्रभाव शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ता है।
बच्चों को मिल्क पाउडर देते वक्त सावधानियां
डॉक्टर का कहना है कि 6 महीने से पहले शिशु को मिल्क पाउडर देने से बचना चाहिए। अगर किन्हीं कारणों से 6 महीने से छोटे शिशु को मिल्क पाउडर देना पड़ रहा है तो पहले इसके बारे में डॉक्टर से बातचीत करें। डॉक्टर ने बताया कि मिल्क पाउडर के मुकाबले छोटे बच्चों के लिए गाय या बकरी का दूध ज्यादा फायदेमंद होता है।