जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल

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नीतीश कुमार पर बोला हमला, कहा नीतीश केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं

नई दिल्ली।    जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह  (आरसीपी सिंह) आज भाजपा में शामिल हो चुके हैं। गुरुवार दोपहर दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में  धमेंद्र प्रधान ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। भाजपा में शामिल होने के बाद आरसीपी सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद कहा। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार आजकल कह रहे हैं कि देश में कोई काम नहीं हो रहा। मैं पूछता हूं कि देश में अगर कोई काम नहीं हो रहा तो भारत कैसे विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। जरा सोचिए कि देश कहां चला गया और बिहार अब भी कहां है? तंज कसते हुए कहा कि वह केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वह ऐसे मुख्यमंत्री हैं तो तीन दिन में तीन अलग-अलग राज्य में गए। पहले दिन उड़ीसा , दूसरे दिन झारखंड, तीसरे दिन महाराष्ट्र में हैं। आप विपक्षी एकता की बात करते है लेकिन बिना नेता के कैसे विपक्षी एकता होगी। विपक्ष का तो कोई नेता ही नहीं है।

जदयू छोड़ने के 9 माह बाद भाजपा में हुए शामिल
राज्यसभा की सदस्यता चले जाने के कारण आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा, उस समय जदयू के कई नेता ने आरोप लगाया कि आरसीपी सिंह भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। इसके बाद जदयू की ओर से आरसीपी सिंह पर कई आरोप लगने लगे। धीरे-धीरे आरसीपी सिंह जदयू से दूर होते चले गए। अंत में उन्हें जदयू से इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी से इस्तीफा देने के बाद वे खुलकर भाजपा के समर्थन में कई बार दिखे। इस दौरान कई बार अटकलें लगाई गई कि आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। हालांकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उस समय कोई पहल होता नहीं दिखा। अब 9 महीने बाद आरसीपी सिंह भाजपा ज्वाइन कर लिया।राजनीतिक पंडितों की माने तो आरसीपी सिंह की कुर्मी कुर्मी जाति से आते हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी जाति से आते हैं कुर्मी यानी लव और कुशवाहा यानी कुश। बिहार की राजनीति में लव कुश का खास महत्व है। बिहार में करीब इनकी आबादी वोटबैंक के हिसाब से ठीक-ठाक है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं। वहीं कुछ माह पहले जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा भी लगातार नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं। कुशवाहा हाल में ही अमित शाह से मिलने दिल्ली गए थे। ऐसे में भाजपा अब कुर्मी जाति से एक चेहरे की तलाश में थी। आरसीपी सिंह को इसके प्रभावी विकल्प के तौर पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व देख रहा है। आरसीपी सिंह यानी लव और सम्राट चौधरी यानी कुश, इन दोनों के साथ आने से भाजपा को इसका काफी फायदा मिल सकता है।

नीतीश और आरसीपी के बीच दूरियां बढ़ी तो जदयू ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा
6 जुलाई 1958 को नालंदा यानी नीतीश कुमार के गृह जिले में जन्मे आरसीपी सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवसर रह चुके हैं। वर्ष 1984 में वह यूपी कैडर में आईएएस अधिकारी बने। 1996 में वह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव बने थे। इसके बाद नीतीश कुमार जब रेल मंत्री बने तो आरसीपी सिंह को विशेष सचिव बनाया। इसके बाद से आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के करीब होते गए। जब मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह को यूपी से बुलाकर अपना प्रमुख सचिव बनाया गया। 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस ले लिया और जदयू ज्वाइन कर ली। जदयू ने 2010 में आरसीपी सिंह को राज्यसभा के लिए नामित किया फिर 2016 में भी राज्यसभा भेजा अब दिसंबर 2020 में आरसीपी सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो एक समय में नीतीश कुमार के राम कहे जाने वाले आरसीपी सिंह पार्टी और सरकार में काफी अहम रोल निभा रहे थे। इसी बीच मोदी सरकार में आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनाए गए। उस समय जदयू भाजपा के साथ के गठबंधन में था। इसी बीच कुछ कुछ बातों को लेकर आरसीपी सिंह की नीतीश कुमार और जदयू से दूरियां बढ़ने लगी जदयू के नेता उन्हें भाजपा का एजेंट तक बुलाने लगे। नीतीश और आरसीपी के बीच दूरियां बढ़ी तो जदयू ने उन्हें इस बार राज्यसभा नहीं भेजा। अंत में आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद आरसीपी सिंह लगातार जदयू और नीतीश कुमार पर हमलावर हो गए। जदयू संगठन को मजबूत करने का श्रेय भी आरसीपी सिंह को ही जाता है।

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