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Tuesday, October 21, 2025

Padma Award: ‘भिनसरिया राग’ के राजा नागपुरी गायक महावीर नायक को मिलेगा पद्मश्री

झारखंड के प्रतिष्ठित ठेठ नागपुरी गायक महावीर नायक को पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा। भिनसरिया राग के राजा महावीर ने झारखंड आंदोलन में भाग लिया और 50 वर्षों से अधिक समय तक नागपुरी गीत गाए। महावीर नायक को देश-विदेश में कई सम्मान मिल चुके हैं और उनकी विशेष गायन शैली जनप्रिय रही है. महावीर नायक ठेठ नागपुरी गीतों के कलाकार. महावीर नायक को ‘भिनसरिया का राजा’ की उपाधि. देश-विदेश में कार्यक्रम ,5 दशक से भी अधिक संगीत का सफर
Padma Shri Award

ASN झारखंड के जाने-माने नागपुरी गायक महावीर नायक को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। वे भिनसरिया राग के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्हें ‘भिनसरिया का राजा’ कहा जाता है। 1962 से नागपुरी गीतों से संगीत जगत को समृद्ध करते आ रहे महावीर नायक ने झारखंड के अलग राज्य के आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। यह सम्मान उन्हें उनके संगीत और सामाजिक योगदान के लिए दिया जा रहा है। वे मुकुंद नायक और मधु मंसूरी हंसमुख के बाद झारखंड से पद्मश्री पाने वाले तीसरे कलाकार होंगे। हालांकि छऊ नृत्य के भी कई कलाकारों को पद्म पुरस्कार मिल चुका है।
महावीर नायक, झारखंड के लोक संगीत की एक धरोहर हैं। उनका जन्म 1942 में, आजादी से पांच साल पहले, रांची के पास उरुगुटु (पिठोरिया, गिंजो ठाकुरगांव के पास) में हुआ था। उनके पिता खुदू नायक भी कला प्रेमी थे। इसीलिए बचपन से ही महावीर जी का रुझान नागपुरी गीतों की ओर रहा। उनका जन्म रामनवमी के दिन हुआ था, इसलिए उनका नाम महावीर रखा गया।
महावीर नायक की सात बेटियां हैं। उनका एक बेटा भी था, जिसका दुर्भाग्यवश निधन हो गया। उनकी बड़ी बेटी ने उनकी संगीत विरासत को आगे बढ़ाया है। वर्तमान में वे हटिया (चांदनी चौक) में रहते हैं। कहा जाता है कि ठेठ नागपुरी गीतों की धारा महावीर नायक से होकर बहती है।

महावीर नायक अपनी अनूठी गायकी के लिए जाने जाते हैं। सभी रागों में पारंगत होने के साथ-साथ उन्हें प्रगतिशील गायन शैली के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता है। यही वजह है कि वे जनता के दिलों में राज करते हैं। उनके गीतों में समाज की झलक दिखाई देती है। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज में बदलाव लाने की कोशिश की।

‘भिनसरिया का राजा’ की उपाधि

महावीर नायक को ‘भिनसरिया का राजा’ कहा जाता है। यह उपाधि उन्हें सिमडेगा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सिमडेगा वासियों ने दी थी। उनकी पहचान ठेठ नागपुरी गायक के रूप में हटिया आने के बाद बनी। 1963 में उन्होंने एचईस्ी में काम करना शुरू किया। यहीं से उन्होंने शिष्ट नागपुरी गीत लिखना और गाना शुरू किया। उन्होंने नागपुरी संगीत को एक नई दिशा दी। महावीर नायक ने न सिर्फ झारखंड और देश के अलग-अलग राज्यों में बल्कि विदेशों में भी अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। पद्मश्री मुकुंद नायक और डॉ. रामदयाल मुंडा के साथ उन्हें ताइवान जाने का अवसर मिला। उन्हें देश-विदेश में कई सम्मान मिले हैं। 2014 में भारत लोकरंग महोत्सव में उन्हें ‘लोककला रत्न अवॉर्ड; से सम्मानित किया गया। 2019 में उनके स्वर्ण जयंती समारोह में भी उन्हें सम्मान मिला। महावीर नायक का संगीत सफर पांच दशकों से भी ज्यादा लंबा रहा है। उन्होंने नागपुरी गीत-संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। पद्मश्री सम्मान उनके योगदान का एक सुंदर प्रमाण है। यह सम्मान न सिर्फ महावीर नायक के लिए बल्कि पूरे झारखंड और नागपुरी संगीत के लिए गर्व की बात है। उनकी संगीत साधना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। यह सम्मान उन सभी कलाकारों के लिए प्रेरणादायक है जो अपनी मातृभाषा और संस्कृति को जीवित रखने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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