रामचरितमानस की चौपाई से प्रेरणा लेते हुए रामनवमी पर अयोध्या धाम में बाल राम के माथे पर सूर्य तिलक किया गया.

ASN.‘मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ, रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ‘. चौपाई में तुलसीदास लिखते हैं कि रामलला का जब जन्म हुआ, तब सूर्यदेव अयोध्या पहुंचे. इतना मोहित हुए कि एक महीने अयोध्या में रह गए. इस दौरान अयोध्या में रात नहीं हुई. बाल राम के माथे पर तिलक करने के लिए रामनवमी पर खुद सूर्यदेव अयोध्या धाम में पधारे. रामनवमी का यह वह दृश्य था, जिसने हर किसी को अभिभूत कर दिया. रामनवमी के अभिजीत मुहूर्त पर श्री रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक लगा. करीब 4 मिनट तक यह दुर्लभ संयोग रहा. अयोध्या धाम घटी दुर्लभ घटना की पूरी दुनिया साक्षी बनी. सूर्य तिलक के साथ ही मंदिर में आरती की गई. इससे पहले कुछ देर के लिए मंदिर के पट बंद किए गए. गर्भगृह की लाइट बंद कर दी गई, ताकि सूर्य तिलक स्पष्ट नजर आए. सूर्य तिलक को लेकर शनिवार को आखिरी ट्रायल किया गया था. आठ मिनट तक चले इस ट्रायल के दौरान इसरो के साथ-साथ आईआईटी रुड़की और IIT Chennai के एक्सपर्ट भी मौजूद रहे थे.

रामनवमी पर दूसरी बार रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया गया हैॉ. इसका सीधा प्रसारण देश-दुनिया के लोगों ने देखा. रामनवमी के अवसर पर बीते साल भी रामलला का सूर्य तिलक किया गया था. ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि अगले बीस साल तक लगातार सूर्य तिलक होता रहेगा. श्राी रामजन्मोत्सव पर सूर्य तिलक का धार्मिक महत्व है. भगवान राम सूर्यवंशी थे यानी सूर्य उनके कुल देवता हैं.