बाहुबली आनंद मोहन पर मेहरबान बिहार सरकार

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रिहाई पर गरमाई सियासत

सुशील मोदी ने किया विरोध

नीतीश सरकार के इस फैसले पर भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने जमकर विरोध किया है। उनका कहना है कि जब खास और प्रभावशाली लोगों के लिए नियम बदले जा सकते हैं तो शराबबंदी कानून के तहत गरीबों और दलितों को आम माफी क्यों नहीं दी जा सकती?

पटना। बिहार की नीतीश सरकार ने बाहुबली आनंद मोहन सिंह की रिहाई का ऐलान किया है. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई की घोषणा उनके विधायक बेटे चेतन आनंद की सगाई के दिन हुआ है. इसे नीतीश सरकार का आनंद मोहन सिंह तोहफा कहा जा रहा है. आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर बिहार में सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है. जदयू इस रिहाई का फायदा उठाने की भरपूर कोशिश कर रही है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आनंद मोहन सिंह की रिहाई के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा है. ललन सिंह ने एक लंबा चौड़ा ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी आनंद मोहन सिंह की रिहाई का विरोध कर रही है. बीजेपी के कहने पर ही बसपा प्रमुख मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई को दलित विरोधी बताया था मायावती बीजेपी की बी टीम है.

इसी के साथ ललन सिंह ने IAS अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या की सजा काट रहे सजायाफ्ता आनंद मोहन सिंह की रिहाई को सुशासन से भी जोड़ दिया। ललन सिंह ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियम बदलने पर कहा कि सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं है इसलिए नीतीश कुमार ने आम और खास के अंतर को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही ललन सिंह ने बीजेपी के पर सीबीआई औैर ईडी जैसी जांच एजेंसियों का दुरप्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी अपने विरोधियों के खिलाफ पालतू तोतों का इस्तेमाल करती है. जबकि नीतीश कुमार की नीति ना किसी को फंसाने और ना किसी को बचाने की रही है.

आनंद मोहन ने जेल से रिहा होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार मानते हुए कहा कि कानून में संशोधन सिर्फ मेरे लिए नहीं हुआ है. बिहार सरकार ने कानून में बदलाव करते हुए जेल में सजा काट रहे कई कैदियों के लिए राहत दी है. बिहार सरकार की तरफ से सोमवार को देर शाम रिहाई के संबंध में आदेश जारी कर दिया था. आनंद मोहन को तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इस संबंध वो करीब 14 साल से जेल में सजा काट रहे थे.

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