एमपी के विदिशा के विजय मंदिर से मिलती जुलती है नए संसद भवन की इमारत

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पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं। नई संसद को लेकर तैयारियां जोर-शोर के साथ शुरू हो गई हैं। इसी बीच नई संसद के डिजाइन को मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर से जोड़ कर देखा जा रहा है। ऐसा दावा किया जा रहा है प्रोजेक्ट की डिजाइन विदिशा की विजय मंदिर को देखकर किया गया है। पुराने संसद भवन का निर्माण भी मध्य प्रदेश के मुरैना चौंसठ योगिनी मंदिर के डिजाइन के तर्ज पर हुआ है। जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनाया था। अब नए संसद भवन का निर्माण भी मध्यप्रदेश के ही एक मंदिर की तर्ज पर होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि इसके बारे में सरकार की ओर पुष्टि नहीं की गई है।

ऐसा दावा किया जा रहा है कि जिस मंदिर की तर्ज पर नई संसद बन रही है। वो मंदिर मध्यप्रदेश के विदिशा में स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, विजय मंदिर देश के विशालतम मंदिरों में गिना जाता है। ये कई बार आक्रांताओं द्वारा लूटा गया है। विजय मंदिर के ऊंचे बेस को देखकर इसका आकार और संसद की आकृति एक जैसी ही दिखाई देती है। यहां नई संसद भवन के प्रोजेक्ट और मंदिर की तस्वीर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं।

मध्यप्रदेश के इतिहासकारों का कहना है कि विजय मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया है। मोहम्मद गोरी के गुलाम अलतमश से लेकर औरंगजेब जैसे क्रूर शासकों का यह मंदिर शिकार हुआ है, लेकिन बार-बार इसका निर्माण भी करवाया गया। विजय मंदिर के पीछे चार मीनारें दिखाई देती हैं। विजय मंदिर मंदिर का निर्माण चालुक्यवंशी राजा ने विदिशा विजय को चिरस्थाई बनाने के लिए यहां पर भेल्लिस्वामिन (सूर्य) का मंदिर बनवाया था।

10वीं व 11वीं शताब्दी में परमार काल में परमार राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने इसका निर्माण कराया था। देश की वर्तमान संसद भवन का डिजाइन भी मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर जैसा है, जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनाया था। अब नए संसद भवन का निर्माण भी मध्यप्रदेश के ही विजय मंदिर से मिलता-जुलता है। यानी भारत की सबसे शक्तिशाली इमारत का इतिहास आजादी के पहले से मध्य प्रदेश से जुड़ा है और आगे भी जुड़ा रहेगा।

 राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग वाली याचिका खारिज

 संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन को लेकर जारी विवाद से संबंधित जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई। ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि इस याचिका से किसका हित होगा? इस पर याचिकाकर्ता सटीक जवाब नहीं दे पाए। याचिका में शीर्ष अदालत से नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गयाकि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।

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