नए चांद की हुई खोज, पृथ्वी और सूर्य की एक साथ कर रहा परिक्रमा, नासा ने अर्ध चंद्र का दिया नाम

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नई दिल्ली। अंतरिक्ष में मौजूद धरती के एकमात्र चांद की तारीफ में कशीदे गढ़े जाते हैं। लेकिन अब  नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेश (नासा) ने एक नए चांद की ख्खोज की है। यह चांद पृथ्वी और सूर्य के चक्कर काट रहा है। इस नए चांद को नासा ने ‘क्वासी-मून यानी अर्ध-चंद्रमा’ नाम दिया है। इसकी खासियत ये है कि पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। इसे लेकर नासा के वैज्ञानिकों ने कई अहम खुलासे किए हैं। नासा के अनुसार यह नया चांद  30-50 फीट की एक चट्‌टान है।  

दरअसल नए चांद की पहली झलक 28 मार्च 2023 को देखने को मिली थी। वैज्ञानिकों ने उस समय इसे पैनस्टार्स टेलिस्कोप से देखा था। इसके बाद से अध्ययन शुरू हुए। अब जाकर इसकी पुष्टि हुई है। इसका नाम इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर की सूची में दर्ज किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि ये पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। हालांकि, सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के चलते ये सूर्य की ओर खिंचा रहता है। 
नासा के मुताबिक, क्वासी मून एक तरह का स्पेस रॉक है। इसका डायमीटर (व्यास)  30-50 फीट हो सकता है। ये हमारे चंद्रमा के व्यास का एक छोटा सा अंश है। ये 2100 साल (100BC) से पृथ्वी के आसपास ही मौजूद था अब इसकी पहचान हुई है। ये अगले 1500 साल यानी AD 3700 तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी की कक्षा छोड़ देगा। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा। 2023 FW13 सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है जितने समय में (365 दिन) पृथ्वी लगाती है, साथ ही ये पृथ्वी के चारों ओर भी चक्कर लगाता है। क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहा जाता है। ये चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। हालांकि, पृथ्वी की जगह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं। इसलिए इन्हें क्वासी कहा गया है। वहीं, चांद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधा होता है। नासा ने इसको लेकर भी एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, ‘नया चांद पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ के बाहर चक्कर लगता है। मतलब उस जगह नहीं चक्कर लगाता है जहां ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे ज्यादा ताकतवर होता है। इसी बल के कारण उपग्रह, ग्रह की ओर खिचते हैं। 
पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस (त्रिज्या) 1.5 मिलियन किलोमीटर है, जबकि 2023 FW13 का रेडियस इससे बड़ा यानी 1.6 मिलियन किलोमीटर है। वहीं, हमारे चंद्रमा के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस सिर्फ 60 हजार किलोमीटर है। यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है। बहरहाल इस नए  चांद के बारे में और अधिक अध्ययन किया जा रहा है।
 

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