स्‍टोव ठीक कर बेटी को भेजा IIT

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 ‘बचपन में पिता के छोटे काम पर शर्म आती थी ‘ ब्‍याह के ल‍िए पैसे जोड़ने के बजाय स्‍टोव ठीक कर बेटी को भेजा IIT इससे प्राची को बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी।

प्राची ठाकुर बिहार के सुपौल से ताल्‍लुक रखती हैं। कभी प्राची के पिता स्‍टोव ठीक करने का काम करते थे। मां कपड़े सिलती थीं। समय गुजरने के साथ प्राची को एहसास हुआ कि उनके करियर को बनाने में पिता का कितना बड़ा योगदान है।

  • नई दिल्‍ली: प्राची ठाकुर बिहार के सुपौल से आती हैं। सुपौल में वह बड़ी हुईं। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उनका बचपन संघर्षों से भरा था। हर दिन चुनौतियों और बाधाओं को पार करना पड़ता था। उन्‍हें बचपन में अपने पिता पर शर्म आती थी। वह सड़क के किनारे एक दुकान के पास स्‍टोव ठीक करते थे। प्राची की मां परिवार चलाने के लिए कपड़े सिला करती थीं। वे सभी ‘कच्चे घर’ में रहते थे। ज्यादातर बार वे पूरे दिन में एक बार ही भोजन करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कई सालों तक वह पुरानी नोटबुक में लिखती थीं। इसके उलट कक्षा में उनकी सहेलियां हर साल नई हैंडबुक का सेट खरीदती थीं। एक दिन प्राची के स्कूल में टीचर ने उन्‍हें ‘परिवार’ पर एक निबंध लिखने के लिए कहा। माता-पिता घर चलाने के लिए क्या करते हैं, यह छुपाना उनके लिए किसी काम से कम नहीं था। कई बार रोते हुए उन्‍होंने अपने पिता से पूछा कि वह किसी ऑफिस में काम क्यों नहीं करते। पिता ने हमेशा उनसे यही कहा कि पैसा ही सब कुछ नहीं है। उस समय उनके शब्दों के मूल्य का एहसास नहीं होता था। ऐसी चीजों को समझने के लिए प्राची बहुत छोटी थीं। जब वह बड़ी हुईं तब वह इन्‍हें महसूस कर पाईं।

पिता ने नहीं की समाज की परवाह
समय के साथ पढ़ाई में प्राची का फोकस बढ़ता गया। उनके परफॉरमेंस में दिनोंदिन सुधार हुआ। लेकिन, समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया। रिश्तेदार हमेशा प्राची पर निशाना साधते थे। शादी करने के लिए कहते रहते थे। वह अपनी पढ़ाई में बहुत व्यस्त थी। धीरे-धीरे वह समय आया जब प्राची को एहसास हुआ कि उनके पिता ने समाज से उनका कितना बचाव किया। उनके सपनों को पूरा करने के लिए कितनी जद्दोजेहद की। बेटी की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी।

आईआईटी रुड़की में मिला दाखिला
जिस उम्र में दूसरे लोग अपनी लड़कियों के ब्‍याह कर रहे थे। तब प्राची के पिता उनकी उच्‍च शिक्षा के लिए पैसे जुटाने में लगे थे। प्राची ने आरएसएम पब्लिक स्‍कूल सुपौल से अपनी स्‍कूल की पढ़ाई पूरी की। फिर उन्‍होंने फैसला किया कि वह उच्‍च शिक्षा भी हासिल करेंगी। वह अभी आईआईटी रुड़की से पीएचडी कर रही हैं। कई सालों के कठिन परिश्रम के बाद उन्‍होंने ग्रेजुएशन पूरा किया। फिर पुडुचेरी यूनिविर्सिटी से पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया।

समाज में लोग प्राची की शादी करने के लिए कहते रहे। लेकिन, पिता बेटी के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। वह हमेशा बेटी को जिंदगी में कुछ अच्‍छा करने के लिए प्रेरित करते हैं। आईआईटी रुड़की में पीएचडी करने का मौका मिलने के बाद फिर प्राची ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

गेस्‍ट लेक्‍चर के लिए मिलने लगे ऑफर
प्राची को गेस्‍ट लेक्‍चरर के तौर पर बुलाया जाता है। अपनी जिंदगी के अनुभवों को वह TEDx टॉक्‍स में भी शेयर कर चुकी हैं। वह डायवर्सिटी ट्रेनर और रिसर्चर के तौर पर भी काम कर रही हैं। अब जब कोई प्राची के पिता से उनके बारे में पूछता है तो वह सिर ऊंचा करके पूरे गर्व के साथ बोलते हैं।

कभी वह भी समय था जब प्राची को अपने पिता पर शर्म आती थी। लेकिन, समय गुजरने के साथ उन्‍हें एहसास हुआ कि उनकी जिंदगी में पिता की कितनी बड़ी भूमिका थी। वह मानती हैं कि इसे दुनिया को बताने की जरूरत थी। अगर एक छोटे से शहर का होने के बावजूद उन्‍होंने कभी बेटी को बेटे से कम नहीं समझा तो कोई भी ऐसा कर सकता है। वह उन लोगों के लिए उदाहरण हैं जो बेटों और बेटियों में फर्क करते हैं।

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