पुतिन का रसोइया था प्रिगोझिन, रूसी राष्ट्रपति को दी चुनौती

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वह पुतिन का रसोइया था

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने भाड़े के सैनिकों वाले वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन नई चुनौती बन गए हैं. किसी समय प्रिगोझिन पुतिन के रसोइया थे। आज प्रिगोझिन जिस मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचने के लिए पुतिन ने ही उनकी मदद की थी।

पुतिन की मदद से प्रिगोझिन रूस में प्रमुख कारोबारी बन कर उभरे. इसके साथ ही वैगनर ग्रुप का काम रूस के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों में भी फैलाया। बता दें कि यूक्रेन युद्ध के दौरान इसी भाड़े के सैनिकों वाले वैगनर ग्रुप ने रूसी सेना के साथ यूक्रेन में अहम हमलों को अंजाम दिया.

लेकिन वैगनर के मुखिया प्रिगोझिन युद्ध में गलत निर्णयों के लिए रूसी सेना के अधिकारियों और रक्षा मंत्री को जिम्मेदार मानते हैं. रक्षा मंत्री को पद से हटाने को लेकर चल रहे गतीरोध के बीच ही विद्रोह भड़की और बात तख्तापलट तक आ गई.
एक बयान में प्रिगोझिन ने कहा कि ‘हमारी लड़ाई यूक्रेन में लड़ रहे रूसी सैनिकों से नहीं है. ब्लकि उनका नेतृत्व कर रहे जोकरों से है.’ प्रिगोझिन महज 18 साल की उम्र में जेल गए. साल 1979 में उन्हें 13 साल की जेल की सजा हुई थी. हालांकि यह बात सामने नहीं आई है कि वह जेल क्यों गए थे.

सोवियत रूस के टूटने के साथ ही प्रिगोझिन 9 साल में ही जेल से बाहर आ गए. इसके बाद उन्होंने हॉट-डॉग का ठेला लगाया. काम भी ठीक-ठाक चल पड़ा. कुछ ही सालों में वह सेंट पीटर्सबर्ग के सबसे महंगे रेस्टोरेंट के मालिक बन गए. इसके बाद धीरे-धीरे वह पुतिन के नजदीक आ गए. इसका सबसे बड़ा कारण था पुतिन को उनके रोस्टोरेंट का खाना अच्छा लगता था. अप्रैल 2000 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री योशिरो मोरी जब रूस पहुंचे तो पुतिन उन्हें प्रिगोझिन के रेस्टोरेंट ले गए.

इस दौरान प्रिगोझिन ने खुद मेहमानों के लिए खाना सर्व किया. इसी दौरान पुतिन से प्रिगोझिन की मुलाकात हुई थी. साल 2003 में पुतिन ने अपना जन्मदिन भी प्रिगोझिन के रोस्टोरेंट में मनाई. कुछ साल बाद प्रिगोझिन की कंपनी कॉनकॉर्ड को क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्य-आवास) में भोजन सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट मिला.


इसी काम से प्रिगोझिन को पुतिन के रसोइए के रूप में पहचान मिली. फिर प्रिगोझिन की कंपनी को रूसी सेना से लेकर स्कूलों तक में खाना सप्लाई करने का काम मिला. इसके बाद प्रिगोझिन ने अपनी सेना बनाई. साल 2014 में रूस की ओर से पूर्व डोनबास में यूक्रेन से लड़ाई लड़ी. इसे ही वैगनर नाम मिला .प्रिगोझिन अफ्रीका में क्रेमलिन का एजेंडा आगे बढ़ाने वाले काम अंजाम दिए, सीरिया में बशर अल असद की सत्ता को सहारा दिया, इसके अलावा माली में फ्रांस के खिलाफ संघर्ष किया.

प्रिगोझिन की सेना वैगनर ग्रुप को क्रूरता के लिए पहचाना जाने लगा. साल 2016 में अमेरिकी चुनाव के दौरान सोशल मीडिया की कमजोरियों का फायदा उठाकर प्रिगोझिन ने इस चुनाव में जबरदस्त दखल दिया. उसकी इंटरनेट रिसर्च एजेंसी की ‘ट्रोल आर्मी व बॉट फैक्ट्री’ ने वोटर को प्रभावित करने, ट्रंप का समर्थन बढ़ाने और हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ भड़काने के अभियान चलाया. साल 2023 में उसने खुद स्वीकार किया कि इस काम को उसी ने करवाया था.

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