बदले जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के तीन कानून

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खत्म किया जा सकता है राजद्रोह का भी  कानून

नई दिल्ली। अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीन अहम कानूनों को केंद्र सरकार ने पूरी तरह से बदल दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में शुक्रवार को भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किया।

इन विधेयकों को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून अंग्रेजों के द्वारा अपने फायदे के लिए बनाए गए थे। इसका देश में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था। हमारी सरकार इन कानूनों को बदलने जा रही हैं। इन कानूनों के बदले सरकार नए कानून ला रही हैं। इसके साथ ही CRPC में संशोधन होते ही देशद्रोह कानून होगा खत्म हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिन तीन कानूनों को खत्म करने की बात की है उनमें भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम है। सरकार ने इन तीनों कानूनों के बदले में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को लोकसभा के पटल पर रखा है।

आएगा बड़ा बदलाव

इन तीनों कानूनों को सदन में रखते समय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती थी। तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा।

बता दें कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्वयन के लिये निर्मित दंड प्रक्रिया है। यह सन 1973 में पारित हुआ तथा 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ। ‘सीआरपीसी’ दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है। जब कोई अपराध किया जाता है तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है।

एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं का ब्यौरा दिया गया है। ‘आईपीसी’ भारतीय दंड संहिता का संक्षिप्त नाम है।

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