प्रोपल्शन से अलग होकर मिशन को अंजाम देने अकेला निकला विक्रम

Spread the love

प्रज्ञान रोवर की लैंडिंग का जिम्मा उसी पर  

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले एक अहम पड़ाव पूरा हो गया है। इसरो ने आज गुरुवार दोपहर जानकारी दी है कि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन और विक्रम लैंडर अलग हो गया है। चांद पर पांव रखने से पहले चंद्रयान-3 का यह आखिरी बड़ा कदम था और इसी के साथ अब विक्रम लैंडर अकेले सफर पर निकल गया है।

इस मिशन के सफल होने की पूरी जिम्मेदारी इसी लैंडर पर है, क्योंकि इसे ही चांद पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करनी है।  इसरो ने गुरुवार को देश को खुशखबरी दी कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर अलग होने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी है। इसरो ने बताया, ‘लैंडिंग मॉड्यूल सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है।

अब लैंडिंग मॉड्यूल अफनी गति को धीमा करने और निचली ऑर्बिट में प्रवेश करने के लिए तैयार है। इसके लिए शुक्रवार शाम 4 बजे डिबूस्टिंग शुरू होगी। बता दें कि 14 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। तब से अबतक इसने एक लंबी दूरी तय की थी। जो प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हुआ है, उसकी मुख्य जिम्मेदारी विक्रम लैंडर को चांद की ऑर्बिट तक लाना था। प्रोपप्लशन मॉड्यूल ने अपना काम पूरा कर दिया है और अब सबकुछ विक्रम लैंडर के हाथ में है।

अब क्या होगा?

प्रोपल्शन से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर चांद की 100 किमी. की परिधि में अकेला घूमेगा। लेकिन यहां से इसके घूमने का तरीका बदलेगा, अभी तक विक्रम गोलाकार तरीके से घूम रहा था लेकिन अब यह अंडाकार तरीके से घूमेगा। साथ ही अब विक्रम अपने थ्रस्टर्स यानी इंजन का इस्तेमाल करेगा, जिसके जरिए वह अपनी गति को कम करने और परिधि को नीचे करने की कोशिश करेगा। इसमें 18 अगस्त को शाम चार बजे पहला कदम लिया जाएगा।

18 से 20 अगस्त के बीच यही गतिविधि चलेगी, जहां विक्रम का फोकस खुद को नीचा और धीमा करना है, साथ ही लैंडिंग की स्थिति में लाना है। मिशन का यही वह हिस्सा है जिसमें चंद्रयान-2 सफल नहीं हो सका था और इसी वजह से चंद्रयान-3 में थ्रस्टर्स लगाए गए थे ताकि वह अपनी गति को कंट्रोल कर सके।

उसकी गति घटा दी जाएगी

वरिष्ठ इसरो वैज्ञानिक डॉ. अन्नादुरई का कहना है कि अब विक्रम को अपना सारा काम खुद करना होगा, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद चार 800N थ्रस्टर्स फायर करेंगे। यही विक्रम लैंडर को चांद के करीब पहुंचाने का काम करेंगे।

जब विक्रम लैंडर चांद से सिर्फ 30 किमी. की दूरी पर होगा, तब उसकी गति घटा दी जाएगी। इसी प्रक्रिया को सॉफ्ट लैंडिंग कहा गया है, क्योंकि यहां से विक्रम कम स्पीड में लैंड होना शुरू होगा। अगर विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होती है,

उसके बाद इसके अंदर से प्रज्ञान रोवर उतरेगा और वह चांद को लेकर अपनी रिसर्च शुरू करेगा। सवाल ये भी है कि जब विक्रम लैंडर चांद पर अपना काम कर रहा होगा, इस बीच प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद के इर्द-गिर्द क्या कर रहा होगा। इसरो के मुताबिक, ये मॉड्यूल चांद की ऑर्बिट में लंबे वक्त तक टिका रहेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन करना होगा और अन्य रिसर्च को अंजाम देना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *