देश में एक ही कानून : अमित शाह

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केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सीएए को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा.

Amit Shah on UCC : अमित शाह ने कहा, “वोट बैंक के लिए विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि सीएए देश के अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन लेगा. लेकिन सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनेगा, केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी.

 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दो टूक कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भाजपा के एजेंडे में शामिल है क्योंकि पार्टी का मानना है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में सभी लोगों के लिए एक समाना कानून होने चाहिए. ‘न्यूज18 राइजिंग भारत समिट’ के एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने यूसीसी के कार्यान्वयन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा है जिसे पार्टी छोड़ नहीं सकती.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यूसीसी 1950 से हमारा मुद्दा है. हमारी पार्टी ने इसके लिए आंदोलन किया है. हम इससे दूर नहीं जा सकते. हमारा मानना है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में सबके लिए एक ही कानून होना चाहिए. यूसीसी देश की जनता से भाजपा का वादा है.”

भाजपा शासित उत्तराखंड ने पिछले महीने यूसीसी के कार्यान्वयन के लिए एक कानून बनाया, ताकि अलग-अलग आस्था के बावजूद सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत और संपत्ति के अधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों के लिए समान नियम सुनिश्चित किए जा सकें. अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी इसी तरह के कानून लाए जाने की उम्मीद है.

शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 के बारे में कथित तौर पर भ्रम फैलाने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की. केंद्र ने हाल में सीएए के कार्यान्वयन के लिए नियम जारी किए हैं. उन्होंने कहा, “वोट बैंक के लिए विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि सीएए देश के अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन लेगा. लेकिन सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनेगा, केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी.”

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “इस देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है. सीएए नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है.” चुनावी बॉण्ड से भाजपा को मुख्य रूप से लाभ होने के दावे को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि इसके खत्म होने के बाद चुनावी वित्तपोषण में काले धन की वापसी की संभावना है.

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