3 हजार KM लंबी दरार ने अफ्रीका को बांट दिया,भूकंप की आहट या नया खतरा

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वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दरार 2 करोड़ साल पहले पड़ी.

अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण पूर्वी हिस्से में 3 हजार किलोमीटर से भी लम्बी दरार पड़ गई है. यह साल-दर-साल चौड़ी होती जा रही है.

Africa is splitting: भूकंप की आहट या नया खतरा, 3 हजार KM लंबी दरार ने अफ्रीका को क्यों बांट दिया?

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अफ्रीका में एक विशाल दरार पड़ने से यह महाद्वीप दो भागों में बंट जाएगा और पृथ्वी का छठा महासागर बन जाएगा. अफ्रीका के हालात चौंकाने वाले हैं. अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण पूर्वी हिस्से में 3 हजार किलोमीटर से भी लम्बी दरार पड़ गई है. यह साल-दर-साल चौड़ी होती जा रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दरार 2 करोड़ साल पहले पड़ी थी, लेकिन इसका असर पिछले कुछ दशकों से दिखना शुरू हुआ है.

यह दरार 2005 में इथियोपिया के रेगिस्तान में दिखना शुरू हुई थी. इसके बाद से साल-दर-साल एक इंच चौड़ी होती गई. जानिए, क्यों बने ऐसे हालात.

ज्वालामुखी की राख से भरी दरार

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केन मैकडोनाल्ड कहते हैं, हम यह नहीं जानते कि क्या यह दरार अपनी वर्तमान गति से चौड़ी होना जारी रखेगी और लाल सागर जैसे एक महासागर बेसिन को खोलेगी, और फिर बाद में अटलांटिक महासागर का एक छोटा रूप लेकर नई पहचान बनाएगी.2005 में यह दरार 55 किलोमीटर लम्बी थी, जिससे इथियोपिया के पास नया समुद्र बनने के संकेत दिए थे.

2018 में यही दरार केन्या के पास दिखी थी. तेज बारिश के बाद लोगों को जगह छोड़ने को कहा गया था. मैकडॉनल्ड कहते हैं कि भविष्य में ऐसी दरार और दिख सकती हैं. जियोलॉजिस्ट डेविड एडेडे का मानना है कि यह दरार ज्वालामुखीय राख से भरी हुई थी लेकिन भारी बारिश के कारण सामग्री बह गई और दरार उजागर हो गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि सबकुछ अचानक और तेजी से हुआ. कुछ लोगों ने जमीन हिलने की घटना को साफतौर पर महसूस किया.

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि…

शोधकर्ताओं का मानना है कि ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट वैली में ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि धरती के नीचे दो टेक्टोनिक प्लेट लगातार गतिशील है. उसमें हरकत हो रही है. पूर्व में सोमाली प्लेट और पश्चिम में नूबियन प्लेट एक दूसरे से दूर हो रही हैं. टेक्टोनिक प्लेट के बीच बढ़ती दूरी को पहली बार नीदरलैंड्स की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने 2004 में देखा था.

ऐसी स्थिति क्यों बनी, अब इसे भी समझ लेते हैं. जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन के अनुसार, इसका निर्माण संभवतः केन्या और इथियोपिया के बीच एस्थेनोस्फीयर – पृथ्वी के सबसे गर्म, कमजोर, ऊपरी हिस्से से निकलने वाली गर्मी के कारण हुआ है. जिसका सीधा असर टेक्टोनिक प्लेट पर भी नजर आया.

वर्जिनिया टेक ने अपनी स्टडी में इस सोसायटी की रिसर्च की पुष्टि हुई. पूर्वी हिस्से की दरार के पास रहने वाले इलुइड का कहना है उन्होंने अपने घर के पास एक दरार को देखा. तभी तय किया है कि घर से जरूरी सामान को लेकर इस जगह को छोड़ दूंगा. जिस जगह पर दरार देखी गई वो काफी व्यस्त इलाका था. दरार ने लोगों के मन में डर भर दिया और वैज्ञानिक अभी भी इसके कारण और मायने तलाश रहे हैं.

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