बेंगलुरु की बैठक खत्म होते ही पटना के लिए हुए रवाना…
पटना : आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए से मुकाबला करने के लिए गठित की गई इंडिया (I.N.D.I.A) से नीतिश कुमार मुंह फुलाए दिख रहे हैं। विपक्षी एकता के मुख्य सूत्रधार नीतीश कुमार को जब महसूस हुआ कि उन्हें इंडिया (I.N.D.I.A) से दरकिनार किया जा रहा है तो वह बैठक से सीधे पटना के लिए रवाना हो गए। बताया जाता है कि कांग्रेस ने बेंगलुरू में एक चाल से विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व को हाईजैक कर लिया। इंडिया (I.N.D.I.A) के सहारे कांग्रेस ने अब तक इस गठबंधन की अगुवाई कर रहे बिहारी नेता नीतीश कुमार को किनारे कर दिया।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस की इस चाल से नीतीश कुमार नाराज हैं। नाराजगी इस कदर थी कि बेंगलुरू की मीटिंग के बाद नीतीश और तेजस्वी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए और पटना लौट आए। बैठक में चर्चा के दौरान इंडिया का मतलब इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस बताया गया। नीतीश कुमार ने खुले तौर से अंग्रेजी नाम पर आपत्ति जताई, जिसे कांग्रेस ने अन्य सहयोगियों के साथ अनसुना कर दिया।
मीटिंग में मौजूद सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं ने अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर इंडिया को लेकर अगली प्लानिंग पर चर्चा शुरू कर दी। मीटिंग के एजेंडे में शामिल गठबंधन संयोजक के मुद्दे को मुंबई बैठक के लिए टाल दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी इंतजार नहीं किया
नीतीश कुमार को जैसे महसूस हुआ कि उन्हें किनारे किया जा रहा है,, वह बैठक खत्म होते ही तेजस्वी यादव के साथ बेंगलुरू से पटना के लिए रवाना हो गए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार भी नहीं किया। हालांकि जदयू और राष्ट्रीय जनता दल के नेता इस बात से इनकार कर रहे हैं कि नीतीश नाराज हैं। राजद के नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं, चूंकि नीतीश और तेजस्वी की फ्लाइट शेड्यूल थी, इसलिए वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए।
विपक्षी दलों की बैठक में 26 पार्टी के नेता शामिल हुए थे। विपक्षी महाएकता की पहली बैठक पटना में हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की एकता की मुहिम छेड़ी थी और बीजेपी वर्सेज वन का फार्मूला दिया। नीतीश कुमार की पहल के कारण ही एक-दूसरे के घोर विरोधी माने जाने वाले नेता एक मंच पर आए थे। मगर दूसरी बैठक में कांग्रेस ने विपक्षी नेतृत्व के अगुवाई से नीतीश कुमार को खिसका दिया।
सोनिया और मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की चर्चा
अब मुंबई की बैठक में नीतीश कुमार की मुहिम और उनके राजनीतिक कद का लिटमस टेस्ट होना है। बेंगलुरू में विपक्षी गठबंधन के संयोजक तय होंगे। कांग्रेस ने पीएम पद की दावेदारी त्यागने की घोषणा कर इस पद पर नजरें गड़ा दी हैं। चर्चा यह है कि संयोजक पद के लिए सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी दावेदारी कर सकते हैं।
सोनिया गांधी 20 साल तक यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस) संयोजक रह चुकी हैं। अगर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार को राजनीतिक झटका लग सकता है। अगर संयोजक पद नीतीश कुमार के पास नहीं आया तो इस विपक्षी गठबंधन में उनकी हैसियत कम हो जाएगी। बिहार में भी सीटों के बंटवारे में जदयू का नुकसान हो सकता है। चुनाव की घोषणा के बाद अगर जदयू को कम सीटें ऑफर हुई तो गठबंधन के शुरुआती अगुवा बनने के कारण इनकार भी नहीं कर सकेंगे।