Impact of Russia-Ukraine War: फिर बढ़ सकती हैं गेहूं की कीमत!

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रूस के ऐलान के बाद यूरोपीय स्टॉक एक्सचेंज में गेहूं की कीमत एक दिन में ही 8.2 प्रतिशत बढ़ गई है

रूस की व्लदिमीर पुतिन की सरकार के एक कदम से दुनिया गेहूं के लिए तरस सकती है। दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच बरसों से अनाज समझौता हुआ है।

अब रूस ने कहा है कि वह यूक्रेन के साथ अनाज समझौते से पीछे हट रहा है। यही नहीं पुतिन की सरकार ने धमकी दी है कि काला सागर में यूक्रेन के बंदरगाह की ओर बढ़ते जहाजों को वह सैन्य जहाजों के रूप में देखेगा।

इसका मतलब है कि अब कोई भी जहाज अनाज लेकर काला सागर से यूक्रेन की ओर नहीं बढ़ सकता। गौरतलब है कि यूक्रेन की  गिनती दुनिया में सर्वाधिक गेहूं उत्पादक देशों में होती है।

दुनिया के अनेक हिस्सों में गेहूं का निर्यात किया जाता है। अब रूस के इस ऐलान के बाद अब दुनियाभर में गेहूं के दाम एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं।

इससे पहले रूस ने काला सागर के रास्ते यूक्रेन के गेहूं और अन्य अनाजों से भरे जहाजों को सुरक्षित रास्ता देने के समझौते से खुद को अलग कर लिया था।

इधर अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस यूक्रेन के मालवाहक जहाजों को निशाना बनाने की योजना बना रहा है। वहीं पुतिन ने कहा है कि अगर उनकी मांगों को मान लिया जाता है तो वह तुरंत अनाज समझौते पर वापस लौट आएंगे।

पुतिन ने मांग की है कि रूस के कृषि बैंक को वैश्विक पेमेंट सिस्टम से जोड़ा जाए। इस बीच रूस के यूक्रेन पर भीषण हमले जारी हैं। अनाज समझौते को लेकर यूक्रेन ने दुनिया से मदद की गुहार लगाई है।

इस बीच रूस के ऐलान के बाद यूरोपीय स्टॉक एक्सचेंज में गेहूं की कीमत एक दिन में ही 8.2 प्रतिशत बढ़ गई है।


हमले में अब तक 60 हजार टन अनाज नष्ट

यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक है। यूक्रेन के कृषि मंत्री मयकोला सोलस्‍की ने कहा है कि रूसी हमले में 60 हजार टन अनाज नष्ट हो गया है। इसके अलावा गेहूं को निर्यात करने का आधारभूत ढांचा भी तबाह हो गया है।

रूस ने इस समझौते से हटने के तुरंत बाद मंगलवार को यूक्रेन के बंदरगाहों को निशाना बनाया था जहां से गेहूं का निर्यात किया जाता था। अगर यह डील फिर से शुरू नहीं होती है तो भारत से लेकर अफ्रीका तक इसका भारी असर देखा जाएगा। अफ्रीकी देशों में भुखमरी की स्थिति आ सकती है।



इस बीच रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, रूस काला सागर के पानी से यूक्रेनी बंदरगाहों तक जाने वाले सभी जहाजों को ‘सैन्य माल के संभावित वाहक’ के रूप में मानेगा।

बुधवार को रूस की ओर से कहा गया कि ‘काला सागर पहल की समाप्ति और समुद्री मानवीय गलियारे में कटौती के कारण, काला सागर में यूक्रेनी बंदरगाहों के रास्ते में आने वाले सभी जहाजों को 20 जुलाई रात 12 बजे से सैन्य कार्गो के संभावित वाहक माना जाएगा।

मंत्रालय ने कहा कि जिन देशों के झंडे उन जहाजों पर मौजूद होंगे, उन्हें यूक्रेन की ओर से संघर्ष में पार्टियों के रूप में देखा जाएगा। बता दें कि रूस और यूक्रेन ने जुलाई 2022 में इस्तांबुल में काला सागर अनाज पहल पर तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के साथ अलग से हस्ताक्षर किए थे।

इसने यूक्रेन को अपने काला सागर बंदरगाहों से अपने अनाज और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति दी थी। मॉस्को ने 17 जुलाई, 2023 को समझौते में अपनी भागीदारी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि जैसे ही समझौतों का रूसी हिस्सा पूरा हो जाएगा, वह समझौते को रिन्यू नहीं करेगा।

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