एआई के जरिए 60 लाख से ज्यादा सिम की पहचान की गई थी.
केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय फर्जी सिम कार्ड के नंबर पर चल रहे सोशल मैसेंजर, वेबसाइट और पेमेंट वॉलैट ऐप को बंद करने की तैयारी कर ली है, ताकि इन नंबरों से एक्टिवेट किए गए सॉफ्टवेयर के जरिए साइबर अपराध को अंजाम नहीं दिया जा सके.
आईटी मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक बड़े पैमाने पर व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, पेमेंट वॉलेट ऐप और वेबसाइट्स उन नंबरों पर एक्टिव हैं, जिनके सिम कार्ड फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिए गए.
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अगले कदम में सरकार लाखों सोशल और मैसेजिंग अकाउंट को बंद करेगी. पहले चरण में टेलीकॉम मंत्रालय ने फेक सिम के खिलाफ अभियान चलाने के लिए संचार साथी नाम की वेबसाइट जारी की थी.
इसके जरिए लोग अपने नाम पर जारी मोबाइल नंबर की संख्या देख सकते हैं. बड़े पैमाने पर इसके जरिए फेक सिम का पता लगाया गया.
50 लाख सिम किए गए बंद
एआई आधारित फेशियल रिकॉग्निशन टूल एएसटीआर का उपयोग 2021 से शुरू किया गया. पायलट प्रोजैक्ट में मेवात में करीब 16.69 सिम पंजीकृत थे, जिनमें से 5 लाख सिम की पहचान फेक के रूप में की गई और उन्हें बंद कराया गया.
जब इसे पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया तो 60 लाख फेक सिम का ब्यौरा सामने आया जिसके बाद सिलसिलेवार तरीके से करीब 50 लाख सिम बंद कराए गए.
अब बंद कराए जा चुके सिम के नंबर से एक्टिव सभी सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से बंद यानी डिएक्टिव कराया जाएगा.
एएसटीआर एआई कैसे काम करता है ?
तस्वीर में मानवीयर चेहरों को एनकोड करने के लिए कन्वेंशन न्यूट्रल नेटवर्क मॉडल का उपयोग किया जाता है. एनकोडिंग में चेहरे के झुकाव, कोण, रंग समेत विभिन्न आयाम और कारकों को परखता है.
इस परख में प्रत्येक चेहरे का तुलनात्मक अध्ययन और वास्तविक और नकली में फर्क निकलकर सामने आता है.
एएसटीआर के एक करोड़ तस्वीरों के डेटाबेस से 10 सेकेंड से भी कम समय में संदिग्ध चेहरे से जुड़े सिम का पता लगा लेता है. चेहरे के मिलान के बाद एएसटीआर सब्सक्राइबर नामों के मिलान के लिए फर्जी लॉजिक का उपयोग करता है. टेलीकॉम मंत्रालय मौजूदा समय एक व्यक्ति को 9 सिम या मोबाइल कनेक्शन रखने की इजाजत देता है.
ऐसे में एआई पहले सभी सिम में मिले दस्तावेजों के रिकॉर्ड का मिलान करता है. इस दौरान तस्वीर, पता, आईडी का डेटा, नकली तस्वीर के मिलान के दौरान उपयोग में लेता है. साइबर अपराध से निपटने में यह सरकार का एक उपयोगी हथियार साबित हुआ है.
जाहिर है इस डेटा में वह नंबर भी होंगे, जिन्हें बंद किया जा चुका है. ऐसे में दूसरे कदम में सरकार को साइबर अपराधियों की कारगुजारियों पर रोक लगाने में बड़ी कामयाबी हासिल होगी.
एआई के जरिए बंद किए गए सभी नंबर और उसके जरिए जारी सॉफ्टवेयर का पता लगाने के लिए डेटा एनालिसिस किया जाएगा. इसमें ऐप और सॉफ्टवेयर कंपनियों से डेटा लिया जाएगा.