Kargil Vijay 2023 : Haunted Village, कारगिल युद्ध का वो गांव जो आज बन चुका है म्यूजियम

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लेकिन कुछ के लिए है भूतिया

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस युद्ध से प्रभावित गांव कैसा है और आज यहां के लोग कैसे रहते हैं, जानिए कुछ दिलचस्प बातें। 

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कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले की नियंत्रण रेखा जिसे एलओसी (LOC) भी कहते हैं, पर लड़ा गया था।

भारत की इस निर्णायक जीत के बाद पकिस्तान को ना केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी अपमान का समाना करना पड़ा था ,बता दें, कारगिल दिवस कारगिल युद्ध के शहीदों को समर्पित है, और इस दिन को हर साल 26 जुलाई के दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस युद्ध के दौरान एक गांव ऐसा था, जहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। हम बात कर रहे हैं, हुंदरमन गांव की जो पहले कभी पकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था।

कारगिल युद्ध से पहले, भारत और पाक के 1971 युद्द में भारत ने इस गांव पर कब्जा कर लिया था, भगदड़ में परिवार इधर से उधर बंट गए, कुछ पाकिस्तान की ओर चले गए तो कुछ यही रह गए।

50 साल के बाद ये लोग एक दूसरे से नहीं मिल पाएं। आज ये गांव Unlock Hundarman Museum of Memories के रूप में जाना जाता है। जिसमें आपको कई पुरानी चीजें देखने को मिलेंगी।

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​हुंदरमन गांव

हुंदरमन गांव का दरअसल एक जुड़वां गांव भी है। ब्रोल्मो गांव से प्रसिद्ध ये विलेज भी युद्ध से घिरा गया था। हुंदरमन भारतीय क्षेत्र में स्थित है। कारगिल युद्ध के दौरान यहां रहने वाले कुछ लोग या तो उस पार चले गए थे, तो कुछ इसी सीमा पर रह गए थे। उजड़े हुए हुंदरमन गांव के खंडहरों को लोअर हंडरमैन या हंडरमैन ब्रोक (ओल्ड हंडरमैन) के नाम से जाना जाता है।

एक नई बस्ती ऊपरी इलाकों में स्थित है और इसे अपर हुंदरमन कहा जाता है। अपर हुंदरमन में लगभग 200 से अधिक परिवार रहते हैं, जो युद्ध से बचे हुए हैं। आज हुंदरमन के खंडहर इस क्षेत्र के लोगों की पुरानी जीवनशैली को भी दर्शाते हैं।

द घोस्ट विलेज​

पुराना हुंदरमन काफी वीरान गांव है, जहां लोग सदियों से वहां रह रहे थे। 1974 के दौरान ग्रामीण घाटी के ऊपरी हिस्सों में एक नई बस्ती पर चले गए थे, जहां वो आज भी रह रहे हैं। उन्होंने धीरे-धीरे अपने जीवन का पुनर्निर्माण करना शुरू किया और भारतीय सेना में कुली के रूप में काम करने लगे।

नए गांव को अपर हंडरमैन कहते हैं और इसमें करीबन 250 लोग रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर युद्ध में जीवित बचे लोग हैं। इस बीच, पुराना गांव, जिसे ओल्ड हंडरमैन गांव के नाम से भी जाना जाता है, खामोश घरों, खाली गलियों और यहां-वहां बिखरी पुरानी कलाकृतियों के कारण सुनसान पड़ा है।

साल 2015 में हुंदरमन म्यूज़ियम ऑफ़ मेमोरीज़ की प्लानिंग शुरू हुई थी। बता दें रूट्स कलेक्टिव (सांस्कृतिक संरक्षण के लिए काम करने वाला एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन) की मदद से, हुंदरमन के एक ग्रामीण, इलियास अंसारी ने पुराने हुंदरमन गांव में अपने पैतृक घरों को एक म्यूजियम में बदल दिया।

इस प्रकार अनलॉक हुंदरमन म्यूज़ियम ऑफ़ मेमोरीज़ का जन्म हुंदरमन के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने के इरादे से हुआ। अब आप सोच रहे होंगे ये नाम कैसे रखा गया, तो बता दें यहां के प्रत्येक घर के दरवाजे पर एक खास प्रकार का लॉक लटका होता था, और इसे खोलने का तरीका भी केवल और केवल घर के मालिक को ही पता होता था।

एक अलग लॉकिंग सिस्टम की वजह से इसका नाम ये रख दिया. हुंदरमन केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में कारगिल शहर से लगभग 10 किमी दूर स्थित है। आप कार लेकर कारगिल से हुंदरमन गांव तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

कारगिल के पास हुंडरमन गांव का पास का हवाई अड्डा लेह है, जो लगभग 225 किमी दूर स्थित है।

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