कोहिनूर से भी बड़ा था ये ‘शापित’ हीरा, न्यूयॉर्क के म्यूजियम में है अब

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ब्रह्मा जी की मूर्ति से गायब होने के साथ ही यह शापित हो गया


787 कैरेट का यह डायमंड भारत में अब तक खोजा गया, सबसे बड़ा प्राकृतिक हीरा माना जाता है. यह 1650 में गोलकुंडा से मिला था. हालांकि जब इसको पालिश किया गया तो यह सिर्फ 195 कैरेट का रह गया. ब्रह्मा जी की मूर्ति से गायब होने के साथ ही यह शापित हो गया और जिसके पास भी यह गया, उन सभी की किसी ना किसी कारण मौत हो गई.

अभी तक आप सिर्फ कोहिनूर के बारे में ही जानते होंगे, जो भारत से ब्रिटेन पहुंचा और समय-समय पर इसको वापस लाने की मांग की जाती रही. लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि एक और कीमती ओर्लोव हीरा भारत का ही था जो खदान से निकला तो कोहिनूर से बड़ा था.

787 कैरेट का यह डायमंड भारत में अब तक खोजा गया, सबसे बड़ा प्राकृतिक हीरा माना जाता है. यह 1650 में गोलकुंडा से मिला था. हालांकि जब इसको पालिश किया गया तो यह सिर्फ 195 कैरेट का रह गया.

इस हीरे को भी कोहिनूर की तरह शापित माना जाता है और इसके पीछे भी काफी रोचक कहानी है. बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी के दौरान पांडिचेरी के एक मंदिर में ब्रह्मा जी की मूर्ति की आंख में एक बड़ा सा हीरा लगा हुआ था. उस समय भारत दुनिया भर में हीरों के लिए काफी मशहूर हुआ करता था.

एक पुजारी जब वहां से गुजर रहा था तो उसने इस हीरे को देख लिया. पुजारी ने हीरे को चुराने का प्लान बनाया और वह इसमें कामयाब भी हुआ. लेकिन कहा जाता है कि यह डायमंड जिस किसी के पास भी गया उसके लिए अपशगुन ही बना.

1932 में पहली बार सामने आया

बताया जाता है कि ब्रह्मा जी की मूर्ति से गायब होने के साथ ही यह शापित हो गया और जिसके पास भी यह गया, उन सभी की किसी ना किसी कारण मौत हो गई. उस समय बहुत से हीरे भारत से चुराकर दूसरे देशों में बेचे गए. काफी समय तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन 1932 में न्यूयॉर्क के एक व्यापारी के पास यह हीरा पाया गया.

जिसका नाम जेडब्ल्यू पेरिस था. उसने इस हीरे को कुछ समय के बाद बेच दिया, लेकिन इसका श्राप उसके साथ रहा. बताया जाता है कि उसी साल व्यापारी ने एक इमारत से कूदकर जान दे दी.

बताया जाता है कि रिकॉर्ड के हिसाब से व्यापारी इसके श्राप से मरने वाला पहला व्यक्ति था. उसके करीबियों ने बताया कि वह काफी दिन से परेशान था और उसका खुद पर काबू नहीं रह गया था.

दोनों राजकुमारियों ने कूदकर की खुदकुशी

पेरिस नाम के उस व्यापारी ने रूस के रॉयल परिवार को यह हीरा बेचा था. अब यह दो राजकुमारी लियोनिला विक्टोरोव्ना-बैरियाटिंस्की और नाडिया विंगिन ओर्लोव को मिल गया था. इनके पास जब यह हीरा पहुंचा तब उन्होंने इसका नाम ब्लैक ओर्लोव, जोकि नाडिया का सरनेम था. हीरे का नाम तो बदल गया था,

लेकिन इसके साथ चलने वाला श्राप अब भी इसके साथ था. जब से यह इस परिवार के पास पहुंचा, तभी से उनकी दिक्कते शुरू हो गई थ. साल 1947 में एक दिन अचानक राजकुमारी लियोनिला को बेचेनी होने लगी और इसके बाद उन्होंने ऊंचाई से कूदकर खुद की जान ले ली.

बताया जाता है कि एक महीने के बाद दूसरी राजकुमारी भी इसी तरह का महसूस करने लगी थी. उस वक्त वह रोम में थी और काफी परेशान थी. वह एक इमारत पर गई और वहां से कूदकर उसने अपनी जान दे दी. इस हीरे के साथ यह श्राप देखने को मिला कि जिसके पास भी यह गया, वह कहीं ना कहीं से कूदकर अपनी जान दे देता है.

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पश्चिम देशों तक पहुंची शापित हीरे की कहानी

इन तीन घटनाओं के बाद इस हीरे के शापित होने की बात पूरे पश्चिम देशों में फैलने लगी. इसके बाद हीरे को चार्ल्स एफ विल्सन ने ले लिया और तीन टुकड़ों में ले लिया. उन्होंने सोचा कि ऐसा करने से इसका श्राप खत्म हो जाएगा. चार्ल्स ने उसके बाद इसके टुकडों को नेक्लेस और दूसरे आभूष्णों में लगा दिया.

हम वर्तमान कुशन-आकार के हीरे को जानते हैं, लेकिन शेष दो हीरों का ठिकाना अभी भी एक और पहेली है. कुछ साल बाद एक डायमंड डीलर डेनिस ने इसे खरीद लिया, लेकिन जब से यह उसके पास आया वह बीमार रहने लगा. कई बार डर के मारे उसने हीरे को किसी और को भी देने की कोशिश की, लेकिन वह उसमें कामयाब नहीं हो पाया.

हर बार किसी ना किसी कारण से यह हीरा उनके पास वापस आ जाता. हालांकि 1947 के बाद ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, जिसने इसकी वजह से अपनी जान ले ली हो. बताया जाता है कि यह हीरा अब न्यूयॉर्क म्यूजियम में रखा गया है.

हालांकि वहां पर इसके शापित होने की बात को भी नहीं माना जाता. उनकी इस बात पर इसलिए भी विश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह इसके भारतीय होने को भी झूठा बताते हैं

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