Chandrayaan-3: ‘चांद हमारी मंजिल नहीं, हमें तो सारा आसमां चाहिए’

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2031 में शुक्र पर फहराएगा तिरंगा

ISRO के Upcoming Projects : इसरो मिशन चंद्रयान-3 के सफल होने के बाद ISRO अपने अपकमिंग प्रोजेक्टस की तरफ मूव करेगा। इसमें सूरज से लेकर शुक्र तक के प्रोजेक्टस शामिल हैं।

India will hoist the flag on Moon today and Venus in 2031

भारत का चंद्रयान-3 आज चांद के सतह पर उतरने के साथ ही कई कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है। भारतीय मिशन मून आज शाम चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड कर जाएगा। पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए इंतजार कर रही है। इसरो के इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद ISRO अपने अपकमिंग प्रोजेक्टस की तरफ मूव करेगा।
इसरो के पास फिलहाल 2025 तक इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में है। इस बात का ऐलान खुद प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से किया था।

आइए जानते है अगले एक दशक के दौरान अंतरिक्ष के सैर की तैयारी कैसी है और कौन-कौन से प्रोजेक्ट शामिल है?

मिशन गगनयान का प्रधानमंत्री मोदी ने किया एलान


बता दें कि इसरो चंद्रयान के बाद मिशन गगनयान पर अपना फोकस करेगा। इस मिशन के तहत भारत अंतरिक्ष में मनुष्य को भेजने की तैयरी में है। इस मिशन का एलान प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2020 में ही कर दिया था। लेकिन कोविड आने और चंद्रयान-2 के फेल होने के कारण ये प्रोजेक्ट लेट हो गया।

गगनयान मिशन 2022 में लॉन्च हो जाना था, लेकिन अब इसके 2025 में पूरा होने की उम्मीद है। फिलहाल गगनयान ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन से पहले इसरो ने दो मानवरहित मिशन प्लान किए हैं। इसरो अगले साल की शुरुआत में पहला मानव रहित फ्लाइट टेस्ट करने वाला है।

यान को व्योममित्र नाम दिया गया है। हॉफ-ह्यूमनॉइड के तौर पर इसकी व्याख्या की जा रही है। यह इसरो के कमांड सेंटर से जुड़ा रहेगा। गगनयान प्रोजेक्ट के लिए इसरो ने क्रायो स्टेज इंजिन क्वालिफिकेशन टेस्ट, क्रू एस्कैप सिस्टम के साथ ही पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट पूरे कर लिए हैं। टेस्ट व्हीकल क्रू एस्कैप सिस्टम को सतीश धवन स्पेस सेंटर में तैयार किया गया है।

गगनयान के बाद सूरज की तरफ कदम


चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिग के बाद इसरो सूर्य का अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सितंबर के पहले हफ्ते में आदित्य एल-1 को लॉन्च किया जा सकता है। 2015 में इसरो ने एस्ट्रोसैट लॉन्च किया था और आदित्य एल-1 भारत का दूसरा एस्ट्रोनॉमी मिशन होगा।

स्पेसक्राफ्ट सूर्य-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 (एल1) के पास बने हैलो ऑर्बिट में रहेगा। यह धरती से 15 लाख किमी दूर है। इस यान की मदद से सूर्य का लगातार अध्ययन संभव होगा। ग्रहण और अन्य खगोलीय घटनाएं भी इसमें खलल नहीं डालेंगी।

अमेरिका के साथ संयुक्त अभियान- निसार


नासा और इसरो का सार यानी निसार (NISAR) अभियान पृथ्वी के बदलते इकोसिस्टम का अध्ययन करेगा। भूजल के प्रवाह के साथ ही ज्वालामुखियों, ग्लेशियर के पिघलने की दर, पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा। निसार दुनियाभर में सतह पर हो रहे बदलावों पर नजर रखेगा, जो अंतरिक्ष और समय की वजह से नहीं हो पाता।

यह हर 12 दिन में डिफॉर्मेशन मैप बनाएगा और इसके लिए दो फ्रीक्वेंसी बैंड्स का इस्तेमाल करेगा। इससे भूकंप की आशंका वाले इलाकों की पहचान करने में मदद मिलेगी।

इसकी लागत करीब 1.5 बिलियन डॉलर होगी और यह दुनिया का सबसे महंगा सैटेलाइट होगा। इसका लॉन्च जनवरी 2024 में प्रस्तावित है। 2800 किलो का यह सैटेलाइट एल-बैंड और एस-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) उपकरणों से सुसज्जित होगा। इससे यह डुअल-फ्रीक्वेंसी इमेजिंग राडार सैटेलाइट बनेगा।

मंगलयान-2

भारत के सबसे किफायती मंगलयान प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद इसरो अपने दूसरे मंगलयान प्रोजेक्ट को लांच करने की तैयारी में है। इस बार हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा और राडार भी ऑर्बिटल प्रोब में लगा होगा। इस मिशन के लिए लैंडर रद्द कर दिया गया है।

भारत का पहला मंगल मिशन मंगलयान-1 सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंच गया था। लॉन्च व्हीकल, स्पेसक्राफ्ट और ग्राउंड सेग्मेंट की लागत 450 करोड़ रुपये आई थी, जो अब तक का सबसे किफायती मंगल मिशन था।

2031 में शुक्र पर लहराएगा भारत का तिरंग

इसरो के मार्स ऑर्बिटर मिशन या मंगलयान-1 की सफलता के बाद इसरो की निगाहें शुक्र ग्रह पर जम गई हैं। अमेरिका, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और चीन ने भी शुक्र ग्रह के लिए अपने मिशन पर काम करना शुरू कर दिया है। भारत का मिशन वैसे तो 2024 के लिए नियोजित था, फिलहाल इसके 2031 से पहले पूरे होने के आसार नहीं हैं। सरकार से अब तक आवश्यक मंजूरियां तक नहीं मिली हैं।

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