‘अंग्रेजों ने जो सबसे मूल्यवान चीज छीनी थी, वह कोहिनूर हीरा नहीं था, बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं में विश्वास था’: आनंद महिंद्रा

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चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर गया है। इसके साथ ही बीबीसी का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पर आनंद महिंद्रा ने अंग्रेजों को खरी-खरी सुनाई है।

भारत के चंद्र मिशन पर बीबीसी ने उठाए थे सवाल

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत की धाक जमा दी है। विक्रम लैंडर बुधवार शाम को जैसे ही चांद की सतह पर उतरा, भारत ने इतिहास रच दिया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही भारत को पूरी दुनिया से बधाइयां मिल रही हैं। इसके साथ ही बीबीसी का चार साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।

यह चंद्रयान-2 के समय का है जिसे भारत ने 2019 में छोड़ा था। इसमें स्टूडियो में बैठा बीबीसी का एंकर भारत के मून मिशन का मजाक उड़ा रहा है। दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस वीडियो पर मजेदार ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि भारत की गरीबी के लिए काफी हद तक अंग्रेजी हुकूमत जिम्मेदार है जिसने कई दशकों तक भारत में संसाधनों की लूट की।

भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी

वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए। यह पुराना वीडियो है। महिंद्रा ने बीबीसी के इस वीडियो पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘सही में। सच्चाई यह है कि हमारी गरीबी की सबसे बड़ी वजह यह है कि हम पर दशकों तक अंग्रेजों ने हुकूमत की। उन्होंने पूरे उपमहाद्वीप को सिस्टमैटिक तरीके से लूटा।

अंग्रेजों ने हमसे जो सबसे मूल्यवान चीज छीनी थी, वह कोहिनूर हीरा नहीं था, बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं में विश्वास था। अंग्रेजी हुकूमत का सबसे कपटी लक्ष्य अपने गुलामों को उनके कमतर होने का अहसास कराना था। यही कारण है कि टॉयलेट और स्पेस एक्सप्लोरेशन दोनों में निवेश करना एक विरोधाभास नहीं है। सर, चंद्र मिशन से हमें अपना गौरव और आत्मविश्वास बहाल करने में मदद मिलती है। यह विज्ञान के माध्यम से प्रगति में विश्वास पैदा करता है। यह हमें गरीबी से बाहर निकलने की आकांक्षा देता है। सबसे बड़ी गरीबी आकांक्षा की कमी होती है…

चंद्रयान मिशन पर कुल खर्च

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा है।

भारत की तुलना में दूसरे देशों का मून मिशन काफी खर्चीला रहा है। अमेरिका ने अपना लूनर मिशन साल 1960 में शुरू किया था। तब उसके मिशन का कुल खर्च 25.8 अरब डॉलर था। अगर आज के हिसाब के देखें तो यह 178 अरब डॉलर बैठता है। रुपये के हिसाब से देखें को यह रकम करीब 14 लाख करोड़ रुपये बैठती है। यानी इसरो के मुकाबले नासा के मून मिशन का खर्च करीब 3,000 गुना ज्‍यादा था। रूस ने भी 1976 के बाद हाल में चांद पर अपना मिशन भेजा था। उसके लूना-25 का बजट करीब 1,600 करोड़ रुपये था। हालांकि यह मिशन चांद की सतह पर क्रैश हो गया था।

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