Ram Mandir : 22 जनवरी को एक नहीं दो मूर्तियों की होगी प्राण प्रतिष्ठा, प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू

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पद्मिनी वेदी में भगवान को बिठाकर पूजन के संस्कार किए जाएंगे। इस वेदी में विराजमान रामलला की मूर्ति ही रखी जाएगी। नवनिर्मित मूर्ति आकार में बड़ी है इसलिए उसे बार-बार इधर-उधर नहीं किया जा सकता।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा। अनुष्ठान की तैयारी को लेकर काशी के आचार्य भी अयोध्या पहुंच गए हैं। मंडप व हवन कुंडों का निर्माण तेजी से चल रहा है। शुक्रवार को आचार्यों ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के साथ बैठक भी की। राममंदिर के गर्भगृह में दो मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। विराजमान रामलला उत्सव मूर्ति व नवनिर्मित रामलला अचल मूर्ति के रूप में प्राण प्रतिष्ठित होंगे।

आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि हर रोज आज घंटे पूजन की प्रक्रिया चलेगी। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में देश भर के 121 आचार्य शामिल होंगे। काशी के प्रसिद्ध आचार्य गणेश्वर द्रविड़ व लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में समस्त अनुष्ठान होंगे। अनुष्ठान की शुरूआत 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन से होगी। यजमान की शुद्धता के लिए प्रायश्चित पूजन किया जाता है। इसी दिन मां सरयू की भी पूजा होगी। पूजन के लिए पांच वेदियां बनाई जा रही हैं। योगिनी, क्षेत्रपाल, वास्तु वेदी की स्थापना होगा। पद्मिनी वेदी में भगवान को बिठाकर पूजन के संस्कार किए जाएंगे। इस वेदी में विराजमान रामलला की मूर्ति ही रखी जाएगी। नवनिर्मित मूर्ति आकार में बड़ी है इसलिए उसे बार-बार इधर-उधर नहीं किया जा सकता। इसी के चलते अनुष्ठान की प्रक्रिया छोटी मूर्ति के साथ पूरी की जाएगी। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा दोनों मूर्तियों की होगी। पूजन के जो विधिविधान व संस्कार छोटी मूर्ति के होंगे वहीं अचल मूर्ति के भी होंगे।

आचार्यों को पहली बार 18 जनवरी को होंगे अचल मूर्ति के दर्शन
वैदिक आचार्य सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि नवनिर्मित अचल मूर्ति के दर्शन आचार्यों को 18 जनवरी को पहली बार होंगे। राममंदिर के ईशान कोण में पूजन के लिए यज्ञ मंडप बनाया जा रहा है। जिसमें नौ हवन कुंड का निर्माण हो रहा है, अब तक चार कुंड बन चुके हैं, दस जनवरी तक हवन कुंड निर्माण का काम पूरा हो जाएगा।

सबसे पहले निर्माण स्थल पर होगा पूजन
आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि 16 जनवरी को सबसे पहले निर्माण स्थल की पूजा की जाएगी। जहां निर्माण हुआ है उसे शास्त्रीय भाषा में कर्मकुुटी कहा जाता है। इसलिए 16 जनवरी को कर्मकुटी की पूजा होगी। मूर्ति का निर्माण रामसेवकपुरम व विवेक सृष्टि के परिसर में हुआ है। रामसेवकपुरम में दो व विवेक सृष्टि में एक मूर्ति का निर्माण हुआ है। इन स्थलों पर पूजन होगा।

7 दिवसीय अनुष्ठान की पूरी प्रक्रिया

16 जनवरी- मंदिर ट्रस्ट की ओर से नियुक्त यजमान द्वारा प्रायश्चित, सरयू नदी के तट पर दशविध स्नान, विष्णु पूजन और गोदान
17 जनवरी- रामलला की मूर्ति के साथ अयोध्या भ्रमण करेगी शोभायात्रा, मंगल कलश में सरयू का जल लेकर मंदिर पहुंचेंगे श्रद्धालु
18 जनवरी- गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन आदि से विधिवत अनुष्ठान आरंभ होगा
19 जनवरी- अग्नि स्थापना, नवग्रह स्थापना और हवन
20 जनवरी- मंदिर के गर्भगृह को 81 कलशों के जल से धोने के बाद वास्तु शांति और अन्नाधिवास होगा
21 जनवरी- भगवान के विग्रह का 96 कल कलशों हजार छिद्रों वाले कलश से दिव्य स्नान के बाद शैयाधिवास कराया जाएगा
22 जनवरी- सुबह पूजन के बाद मध्यान्ह काल में मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा होगी

महाराष्ट्र से पहुंची प्राण प्रतिष्ठा की पूजन सामग्री
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान की पूजन सामग्री महाराष्ट्र से अयोध्या पहुंच गई है। हवन सामग्री लेकर पहुंचे महाराष्ट्र के धुलिया निवासी नंदन केल ने बताया कि हमने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्राचार कर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में लगने वाली पूजन सामग्री अर्पित करने की इच्छा व्यक्त की थी। उनकी अनुमति मिलने के बाद हम इसे लेकर आए हैं। यह आठ दिनों की आठ प्रकार की पूजन सामग्री है। इसमें शुद्ध तांबे के 200 कलश हैं। इसके अलावा प्रसाद के लिए तिल का लड्डू, रंगोली, सविधा, आठ दिन की हवन सामग्री, लकड़ी, गाय की गोबरी, 150 ध्वज शामिल है।

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