Ayodhya ke Ramlala : राम भक्तों का जनसैलाब, पहले दिन 5 लाख लोगों ने किए रामलला के दर्शन

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22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मंगलवार को भक्तों के लिए राम मंदिर को खोला गया था. ऐसे में राम मंदिर के दर्शन के लिए सालों से इंतजार कर रहे भक्त लाखों की संख्या में मंदिर पहुंच गए. बताया जा रहा है कि पहले ही दिन करीब 5 लाख भक्तों ने रामलला के दर्शन किए.

अयोध्या: रिकॉर्ड बना गया राम भक्तों का जनसैलाब, पहले दिन 5 लाख लोगों ने किए रामलला के दर्शन

अयोध्या में पहले ही दिन रामलला के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में दर्शनार्थियों का हुजूम आया. शाम तक पांच लाख श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए. सुबह बड़ी संख्या में दर्शन करने आए भक्तों की वजह से काफी अव्यवस्था का माहौल बन गया था. मंगलवार की सुबह देखते ही देखते लोगों के हुजूम से पूरा भक्ति पथ भर गया. हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी.

आईजी रेंज अयोध्या पीयूष मोडिया ने जनता से अपील की है और भरोसा दिलाया है कि धैर्य रखें, सभी को रामलला के दर्शन जरूर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सभी के दर्शन लाइन से ही होंगे. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से फिलहाल अयोध्या नहीं आने की अपील भी की है. सुबह जैसे ही भीड़ के अनियंत्रित होने का खबर आई, उसके बाद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कमान संभाली. अधिकारियों से फौरन बात की और दिशा-निर्देश जारी किए. इतने से भी बात नहीं बनी तो खुद ही दोपहर तक अयोध्या पहुंच गए. पुलिस ने पांच लेयर सिक्योरिटी लगाई है. इसमें बिड़ला धर्मशाला से लेकर रामलला मंदिर तक ब्लॉक बनाए गए. लोगों को सीमित संख्या में मंदिर के अंदर छोड़ा जा रहा है.

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर इसी महीने की 20 तारीख से मंदिर को आम दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया गया था. 20, 21 और 22 जनवरी तक किसी को भी रामलला के दर्शन नहीं हो पाए. ऐसे में बड़ी संख्या में भक्त अयोध्या में ही रुक गए. जैसे ही मंदिर खुला, उसके बाद रुके हुए भक्त और आज जो भक्त पहुंचे थे, उनका जनसैलाब उमड़ गया.

साधु-संतों का कार्यक्रम

प्राण प्रतिष्ठा से कई दिनों पहले से ही देशभर के कई साधु-संतों ने अयोध्या में अपना डेरा डाल रखा था. कहीं हवन, कहीं भागवत कथा तो कहीं अखंड रामायण का पाठ चल रहा था. इन पंडालों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की संख्या थी, जो रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम तक रुके रह गए थे.

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