IPS संजीव भट्ट को 20 साल की जेल,

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IPS संजीव भट्ट को 20 साल की जेल, 28 साल पुराने NDPS केस में सजा

कोर्ट ने बुधवार को ही मादक पदार्थ जब्ती मामले में उन्हें दोषी करार दिया था. संजीव भट्ट को आपराधिक मामले में दूसरी बार सजा सुनाई गई है. इससे पहले साल 2019 में जामनगर कोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में उन्हें दोषी पाया था.

पूर्व IPS संजीव भट्ट को 20 साल की जेल, 28 साल पुराने NDPS केस में मिली सजा

गुजरात में बनासकांठा जिले के पालनपुर की एक सत्र अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को मादक पदार्थ रखने संबंधी 1996 के मामले में गुरुवार को 20 साल जेल की सजा सुनाई है. भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पहले से ही सलाखों के पीछे हैं. बता दें कि भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठे केस में फंसाने का दोषी ठहराया गया था. जिला पुलिस ने दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील रह रहे थे.

बता दें कि संजीव भट्ट के खिलाफ चल रहा ड्रग्स से जुड़ा ये मामला 28 साल पुराना है. ये मामला तब सामने आया जब सुमेर सिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार किया गया. ये मामला सुमेर सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी के सामने आया था. बता दें कि जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को साल 1996 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के कमरे से ड्रग्स जब्त किया था, जहां पर वकील राजपुरोहित रह रहे थे. इस गिरफ्तारी के संबंध में पूर्व पुलिस अधिकारी की पत्नी श्वेता ने निराशा व्यक्त की थी. वकील की गिरफ्तारी पर राजस्थान पुलिस ने कहा कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने एक विवादित संपत्ति को स्थानांतरित करने के दबाव में फंसाया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व पुलिस निरीक्षक आईबी व्यास ने इस मामले की गहन जांच का अनुरोध करते हुए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

2018 में किया गया था गिरफ्तार

राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था, तब से वो पालनपुर उप जेल में हैं. बता दें कि पिछले साल ही भट्ट ने 28 साल पुराने ड्रग्स केस में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमें को किसी अन्य सत्र अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. उन्होंने निचली कोर्ट की कार्रवाई की रिकॉर्डिंग की भी मांग की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.

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