Adopted Baby Girl : ‘अगले जन्म मोहे ऐसो माँ बाप ना दीजो’, मरने के लिए फेंकी गई नवजात बच्ची ने पहले दी थी मौत को मात, अब USA जाएगी

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छपरा में डिब्बा में बंद कर मरने के लिए फेंकी गई नवजात बच्ची के भाग्य ने नया मोड़ ले लिया है। अब जल्द ही वह यूएसए में अपने नए मां-बाप के पास चली जाएगी। वहीं, बच्चे गोद लिए जाने के मामले में सारण सर्वोच्च स्थान पर पहुंच गया है।

Saran: newborn girl locked in carton had earlier defeated death, now she will go to USA after being adopted

छपरा में अपनों से ठुकराई एक अनाथ, बेसहारा बच्ची जन्म के साथ ही मरने के लिए फेंकी दी गई थी। उसे देख किसी को उम्मीद नहीं थी कि उसकी सांसे चल रही होंगी। लेकिन जब लोगों ने उठाया तो उसकी सांसों की डोर टूटी नहीं बल्कि धीरे-धीरे चल रही थी। उसे उसी वक्त स्थानीय लोगों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के बाद बाल संरक्षण इकाई को सूचना दी गई। उसके बाद विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र के अधिकारी बच्ची को दत्तक ग्रहण केंद्र ले गए। जहां पर अभी उसका भरण-पोषण किया जा रहा है। हालांकि अब बच्ची अपने मम्मी-पापा के साथ सात समंदर पार यूएसए चली जाएगी। उनसे बहुत दूर, जिन्होंने उसे मरने के लिए फेंक दिया था। जानकारी के मुताबिक, निकट भविष्य में बच्ची को यूएसए में रहने वाले एक पायलट छपरा शहर के दत्तक ग्रहण केंद्र से गोद लेने वाले हैं। पायलट की वार्षिक आय लगभग 1.5 करोड़ के आसपास है। यह बच्ची करीब छह माह पहले जन्म के साथ मरने के लिए फेंक दी गई थी, जिसका इलाज सदर अस्पताल में किया गया था। लेकिन ठीक हो जाने के बाद से यह बच्ची बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र में रह रही है। लेकिन अब वह यूएसए के दंपति के पास जाने वाली है।

बच्ची सौंपने के लिए कोर्ट की प्रक्रिया हुई पूरी
विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र में रह रही छह माह की बच्ची को यूएसए में रहने वाले मम्मी-पापा को सौंपने के लिए कोर्ट की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। दरअसल, छपरा व्यवहार न्यायालय ने उक्त बच्ची को यूएसए के दंपति को सौंपने के लिए आदेश भी दे दिया है। इसके साथ ही जिलाधिकारी अमन समीर ने भी अपनी सहमति देते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दे दिया है। अब बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट बनाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बहुत ही जल्द बच्ची अपने मम्मी-पापा के साथ सात समंदर पार यानी यूएसए चली जाएगी।

भाग्यशालीआकृतिलक्ष्मी और गरिमा को पहले ही लिया जा चुका गोद
जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र से पहली बार वर्ष-2016 में भाग्यशाली नाम की बच्ची को भारतीय मूल के न्यूजीलैंड निवासी दंपति ने गोद लिया था। गोद लेने वाले पति-पत्नी सॉफ्वेयर डेवलपर हैं, जिन्होंने छपरा आकर गोद लिया था। मालूम हो कि उस बच्ची को लगभग 40 फीट गहरे गड्ढे में मरने के लिए फेंक दिया गया था, जिसे बाल संरक्षण इकाई द्वारा बरामद किया गया था। इसके बाद जून-2017 में करीब नौ महीने की बच्ची आकृति को अमेरिका और तीन माह की बच्ची लक्ष्मी को न्यूजीलैंड के दंपतियों ने गोद लिया था। हालांकि आकृति का होठ कटा हुआ था। लेकिन इसके बावजूद भी बच्ची को अमेरिकी दंपति ने गोद लिया था। इसी तरह से वर्ष-2019 में स्वीडन के दंपति ने गरिमा को गोद लिया था। लिहाजा यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि अपनों से ठुकराई अनाथ और बेसहारा बच्चियों को अपनाने के लिए विदेशी दंपति बढ़-चढ़ कर गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं।

95 बच्चों को अपनाए जाने के कारण सारण को मिला सर्वोच्च स्थान
बाल संरक्षण इकाई की सोच और बेहतर प्रयास का असर अनाथ तथा लावारिस अबोध बच्चों के जीवन पर पड़ रहा है। तभी तो अपनों द्वारा ठुकराए गए बच्चे और बच्चियों के प्रति समाज का बढ़ता रुझान सामाजिक सोच में हो रहे बदलाव को दर्शाता है। शायद यही कारण है कि विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र में रह रही बच्चियों को देश-विदेश के गैर दंपति आगे आकर अपना रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण इकाई द्वारा जिले में संचालित हो रहे विशिष्ट दत्तक ग्रहण केंद्र से लगभग 95 बच्चों को देश-विदेश के दंपति अपना चुके हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष-2016 से अभी तक लगभग 34 बच्चों को गोद ले चुके हैं, जिस कारण राज्य स्तरीय रैंकिंग में सारण जिला पहले पायदान पर है।

बच्चों को गोद लेने के लिए आसान प्रक्रिया
अनाथ और बेसहारा बच्चों को गोद लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले विभागीय पोर्टल (cara.nic.in) पर ऑनलाइन निबंधन कराना होता है। उसमें गोद लेने वाले इच्छुक दंपतियों को अपना संपूर्ण पारिवारिक विवरण देना होता है। उसके बाद समाज कल्याण विभाग के विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा गृह अध्ययन किया जाता है। इसके बाद पांच बच्चों के फोटो साझा किए जाते हैं, जिसमें से करीब 48 घंटे के अंदर किसी एक बच्चे को गोद लेने के लिए चयन करना होता है। चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे को गोद लेने के लिए स्थानीय न्यायालय में आवेदन देकर अनुमति प्राप्त करनी पड़ती है। कोर्ट का आदेश मिलने के बाद बाल संरक्षण इकाई द्वारा चयनित बच्चे को उक्त दंपति को सौंप दिया जाता है।

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