लव जिहाद पर आजीवन कारावास

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Love Jihad : योगी सरकार ने पेश किया बिल, UP में ‘लव जिहाद’ पर अब आजीवन कारावास

योगी सरकार ने यूपी विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन संशोधन विधेयक 2024 को विधानसभा में सोमवार को पेश कर दिया है. इसके अनुसार लव जिहाद जैसे अपराधों के दोषियों को ताउम्र जेल की सजा देने का प्रावधान है. इसके अलावा इसमें पहले से परिभाषित अपराधों में सजा दोगुनी करने का प्रावधान किया गया है.

यूपी में लव जिहाद करने के दोषी को ताउम्र की जेल होगी. इस संबंध में सोमवार को योगी सरकार ने विधेयक पेश किया. योगी सरकार ने विधानसभा में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक पेश किया. इसमें अपराधों में सजाएं दोगुनी करने का प्रस्ताव किया है. यूपी में ‘लव जिहाद’ जैसे अपराधों पर योगी सरकार ने और कड़ी सजा करने का फैसला किया है. लव जिहाद में आजीवन कारावास तक की सजा दिए जाने का प्रस्ताव है. अन्‍य कई अपराधों में सजा दोगुनी तक बढ़ा दी गई है. लव जिहाद के तहत नए अपराध भी शामिल किए गए जिसमें ताउम्र जेल का प्रावधान किया गया है. लव जिहाद को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और उनकी सरकार लगातार सख्‍त तेवर दिखाते रहे हैं. ‘लव जिहाद’ को लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार ने मुद्दा बनाया था. इसके बाद लगातार इस मामले में सरकार ने सख्‍त कानून बनाने की कोशिश की और इसके प्रावधानों को कड़ा बनाया है. अब पेश बिल के अनुसार लव जिहाद मामले में पीड़ित के इलाज के खर्च के बदले कोर्ट जुर्माना तय कर सकेगी.

कोई भी पुलिस को दे सकेगा सूचना
इस बिल को लाने से पहले सरकार ने बताया था कि अपराध की संवेदनशीलता, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, दलित- पिछड़े समुदाय से होने के आधार पर सजा तय की जाएगी. नए बिल में अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए भी सजा और जुर्माने को बढ़ाया गया है. इससे पहले लव जिहाद की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है. अब इसकी सूचना लिखित तौर पर कोई भी पुलिस को दे सकता है. सूचना मिलने पर जांच होगी.

सभी अपराध गैर जमानतीय
जानकारी के अनुसार अब ऐसे मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगी और इसके साथ ही लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा. कानून के तहत सभी अपराध गैर-जमानतीय बना दिए गए हैं. इससे पहले 2021 में विधानमंडल से पास कराकर विधिवत कानूनी जामा पहनाया गया था. हालांकि उस समय इस कानून के तहत अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माना 50 हजार तक था.

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