Bangladesh : शेख हसीना का सैन्य निष्कासन, बांग्लादेश को ‘पाकिस्तान’ बनाने के लिए ISI के स्लीपर सेल पूरे ढाका में

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प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में कोटा देने का प्रस्ताव रखा था, जिसके बाद बांग्लादेश कई हफ्तों तक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। हालांकि इस मामले पर देश के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस आरक्षण को काफी हद तक कम कर दिया।

बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन ने वहां के हालात बेकाबू कर दिए हैं। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ कर भारत आना पड़ा है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के दफ्तरों पर छात्रों का लगातार हमला जारी है। सूत्रों का कहना है कि ढाका स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए कट्टरपंथी छात्र प्रदर्शनकारियों को न केवल अपना समर्थन दिया, बल्कि उन्हें उकसाने का काम भी किया। इस पूरे मामले में पाकिस्तान हाई कमीशन की भूमिका संदिग्ध रही है। 

पाकिस्तान ने की फंडिंग
सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के पीछे कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अहम भूमिका रही है। इन दोनों ने ही आरक्षण के मुद्दे को हवा दी और छात्रों को आंदोलन के लिए भड़काया। वहीं, जमात-ए-इस्लामी को ढाका स्थित पाकिस्तान मिशन ने आंदोलन को तेज करने के लिए पैसा मुहैया कराया। बता दें कि पाकिस्तान समर्थक जमात बांग्लादेश में प्रतिबंधित है। बताया जाता है कि पाकिस्तान उच्चायोग में रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर कामरान नजीर मलिक ने एक माह पहले ढाका में जेहादी नेताओं के साथ गोपनीय बैठक भी थी, जिसमें नाहिद इस्लाम भी शामिल था, जो वहां के छात्र आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहा है। इस बैठक में छात्रों को और भड़काने का टास्क दिया गया था। 
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में कोटा देने का प्रस्ताव रखा था, जिसके बाद बांग्लादेश कई हफ्तों तक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। हालांकि इस मामले पर देश के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस आरक्षण को काफी हद तक कम कर दिया। लेकिन इसके बाद भी आंदोलन शांत होता दिखा। सूत्रों का कहना है कि शेख हसीना पाकिस्तान के इस एजेंडे का समझ रही थीं, यही वजह है कि 3 अगस्त को शेख हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों से आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को समाप्त करने के लिए अपने आधिकारिक आवास गोनो भवन में उनसे मिलने का आह्वान किया था।
शेख हसीना ने कहा था कि उनके लिए गोनो भवन के दरवाजे खुले हुए हैं। मैं आंदोलनकारी छात्रों से मिलना चाहती हूं और उनकी बात सुनना चाहती हूं। मैं कोई संघर्ष नहीं चाहती। यहां तक कि उन्होंने अधिकारियों से हिरासत में लिए गए आम छात्रों को रिहा करने के लिए भी कहा। लेकिन सरकार हटाने की मांग पर अड़े छात्रों के बातचीत में शामिल न होने के फैसले से पहले ही अलकायदा से संबंध रखने वाली बीएनपी से जुड़े प्रोपेगेंडा चलाने वाले डेविड बर्गमैन ने छात्रों से इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने को कहा था। कहा जा रहा है कि इस पूरे आंदोलन को बर्गमैन के बॉस तारिक रहमान पाकिस्तान के साथ मिल कर कंट्रोल कर रहा है, जो न केवल एक सजायाफ्ता आतंकवादी है, बल्कि 2007 से यूनाइटेड किंगडम में स्व-निर्वासन में रह रहा है।

पाकिस्तान ने रची साजिश?
सूत्रों ने बताया कि बर्गमैन के अलावा, बीएनपी के प्रोपेगेंडा फैलाने वालों में एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक जॉन डैनिलोविच भी शामिल है, जो कई वर्षों तक अलकायदा से जुड़ी पार्टी के लिए काम कर चुका है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इस सारे फसाद की जड़ है, जिस पर पश्चिम के एक बड़े देश का हाथ है। सूत्रों ने बताया कि हसीना को हटाने के लिए आईएसआई के स्लीपर सेल पूरे ढाका में फैल चुके हैं। आईएसआई अपनी ढाका स्थित पाकिस्तानी एंबेसी के जरिए जमात और उनकी छात्र इकाई ‘छात्र शिविर’ का इस्तेमाल कर रही है। जमात को पाकिस्तान का बेहद करीबी माना जाता है और समय-समय पर उन्हें गुप्त फंडिंग मिलती रही है। उन्हें ढाका में पाकिस्तान मिशन से नियमित रूप से ब्रीफिंग और निर्देश भी मिलते रहते हैं।

पाकिस्तानी दूतावास ने दिया एंबेसी में शरण लेने का ऑफर
वहीं पाकिस्तान एंबेसी के हाथ होने के सबूत यहां भी मिले हैं। पाकिस्तानी दूतावास ने छात्रों से कहा कि अगर जरूरत पड़े तो वे मिशन में शरण ले सकते हैं। आमतौर पर राजनयिक मिशनों को ऐसा नहीं करते हैं, जो साफ-साफ बांग्लादेश की अदंरूनी राजनीति में हस्तक्षेप है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने काफी पैसा यहां निवेश किया हुआ है। उनकी यहां बहुत सारी संपत्तियां हैं, जिसका इस्तेमाल वे बांग्लादेश को ‘पाकिस्तान’ बनाने के लिए कर सकते हैं। 

आर्मी चीफ वकार-उज-जमान हैं शेख हसीना के जीजा
बता दें, कि बांग्लादेशी आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने शेख हसीना के इस्तीफे का एलान नहीं किया है, बल्कि उन्होंने शेख हसीना के सैन्य निष्कासन का संकेत दिया है। आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने शेख की चचेरी बहन साराहनाज कामालिका रहमान से शादी की है और उन्होंने हाल ही में जून 2024 को ही सेना प्रमुख का पद संभाला था। आर्मी चीफ शेख हसीना के जीजा हैं। बेगम साराहनाज कामालिका रहमान शेख हसीना के चाचा की बेटी हैं। आर्मी चीफ वकार के ससुर और शेख हसीना के चाचा का नाम मुस्तफिजुर रहमान है, जो 24 दिसंबर, 1997 से 23 दिसंबर, 2000 तक बांग्लादेश सेना के सेना प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं। 

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