बृहस्पति से 13 गुना बड़ा ग्रह , आकार इतना बड़ा कि समा जाएं पृथ्वी जैसे 16900 प्लेनेट्स!

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भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व में एक टीम ने बृहस्पति से भी 13 गुना बड़े ग्रह की खोज की है. ये इतना बड़ा है कि इसमें पृथ्वी जैसे 16,900 ग्रह फिट हो जाएं.भारत, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने स्वदेशी ‘पीआरएल एडवांस्ड रेडियल-वेलोसिटी अबु-स्काई सर्च स्प्केटोग्राफ (PARAS)’ दूरबीन के जरिए इस ग्रह को खोजा है. PARAS दूरबीन माउंट आबू में गुरुशिखर ऑब्जर्वेटरी में हैं. इसने बहुत ही सटीक तरह से ग्रह को मापा है. अभी तक जितने भी ग्रह खोजे गए हैं, वो TOI-4603 के तौर पर जाने जाने वाले तारे की परिक्रमा कर रहे हैं. इसे तारे को NASA के ‘ट्रांजिस्टिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS)’ के जरिए खोजा गया.

Space News: बृहस्पति से 13 गुना बड़े ग्रह की हुई खोज, आकार इतना बड़ा कि समा जाएं पृथ्वी जैसे 16900 प्लेनेट्स!

क्या आपको मालूम है सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कौन सा है? अगर आपको साइंस में दिलचस्पी है, तो आप इसका जवाब जानते होंगे, जो है-बृहस्पति. इसे अंग्रेजी में ज्यूपिटर के नाम से जाना जाता है. बृहस्पति ग्रह इतना बड़ा है कि इसमें पृथ्वी जैसे 1300 ग्रह बड़ी आसानी से समा सकते हैं. हालांकि, अब में बृहस्पति से भी 13 गुना बड़े ग्रह की खोज की गई है, जिसमें पृथ्वी के आकार के 16,900 ग्रह फिट हो सकते हैं. इस ग्रह को एक भारतीय ने खोजा है.

दरअसल, फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद के प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में एक वैज्ञानिकों की एक टीम में एक ऐसे ग्रह को खोज निकाला है, जो आकार में बृहस्पति से 13 गुना ज्यादा बड़ा है. PRL वैज्ञानिकों के जरिए खोजा गया ये तीसरा एक्सोप्लैनेट है. इस खोज को ‘एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स लेटर्स’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है. एक्सोप्लैनेट उन ग्रहों को का जाता है, जो हमारे सौरमंडल के बाहर किसी तारे की परिक्रमा कर रहे हों.

नए खोजे गए ग्रह की खासियतें

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये उन कुछ चुनिंदा विशालकाय ग्रहों में से एक हैं, जहां जबरदस्त सघनता है. इसके आस-पास विशालकाय द्रव्यमान वाले ग्रह और बौने ग्रह मौजूद हैं. नए ग्रह को TOI 4603b या HD 245134b का नाम दिया गया है. TOI 4603b ग्रह पृथ्वी से 731 प्रकाशवर्ष दूर मौजूद है. ये अपने तारे की परिक्रमा हर 7.24 दिनों में करता है.

इस ग्रह को जहन्नुम का दूसरा नाम भी कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर तापमान 1396 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इससे पता चलता है कि तापमान इतना अधिक होने पर सतह के हालात क्या होते होंगे.

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