भीषण गर्मी से टेढ़ी हुईं रेल की पटरी

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– नीलांचल एक्सप्रेस के लोको पायलट की वजह से टली बड़ी घटना

लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के निगोहां रेलवे स्टेशन पर भीषण गर्मी में पिघलकर पटरियां टेढ़ी हो गई हैं। इन पटरियों पर  से नीलांचल एक्सप्रेस गुजर गई। लोको पायलट की वजह से बड़ा हादसा टल गया। ट्रेन में तकरीबन आठ सौ यात्री सवार थे। घटना शनिवार दोपहर की है। ट्रेन को जिस लूपलाइन से गुजारा जा रहा था वह करीब सात मीटर तक टेढ़ी पाई गई।  

लोको पायलट को झटके महसूस हुए तो उन्होंने ट्रेन रोकी। शुरुआती जांच में गर्मी की वजह से पटरी टेढ़ी होने की बात सामने आ रही है। बहरहाल, डीआरएम ने जांच के आदेश दिए हैं। पुरी से नई दिल्ली जाने वाली गाड़ी संख्या 12875 नीलांचल एक्सप्रेस रायबरेली के रास्ते लखनऊ आ रही थी। शनिवार दोपहर करीब 2.15 बजे ट्रेन निगोहां रेलवे स्टेशन पहुंची।  यहां मेनलाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी।

लिहाजा ट्रेन को लूपलाइन से गुजारा गया। जब ट्रेन गुजरी तो लोको पायलट को झटके महसूस हुए। उन्होंने सतर्कता बरतते हुए तत्काल ट्रेन को रोका। हालांकि, तब तक ट्रेन टेढ़ी पटरियों को पार कर चुकी थी। लोको पायलट ने टेढ़ी पटरियों की सूचना निगोहां स्टेशन मास्टर विवेक पटेल को दी। इसकी सूचना रेलवे कंट्रोल रूम और बछरावां की मेंटेनेंस टीम को दी गई। इसके बाद इंजीनियरों की टीम मौके पर पहुंची और पटरियों की मरम्मत की।

इस दौरान ट्रेनों का संचालन अप-डाउन लाइन से होता रहा। ट्रेन में आठ सौ के आसपास पैसेंजर थे।  रेलवे के अफसर बताते हैं कि लूपलाइन से गुजरते वक्त नीलांचल एक्सप्रेस की स्पीड 15 से 20 किमी प्रति घंटे की थी। ऐसे में टेढी पटरियों से गुजरने पर हादसा बच गया। स्पीड अधिक होती तो ट्रेन पलट सकती थी। इससे पहले भी पटरी में फैलाव की वजह से दून एक्सप्रेस वाराणसी से अयोध्या के बीच पटरी से उतर चुकी है।

हिमगिरी एक्सप्रेस भी सुल्तानपुर के पास और हरिद्वार प्रयागराज एक्सप्रेस कनकहा में बेटपरी हुई थी। दरअसल, गर्मियों में लोहे की पटरी फैलकर टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं, जबकि ठंड में सिकुड़ जाती हैं। इससे ट्रैक फ्रैक्चर हो जाते हैं। लिहाजा रेलवे डिस्ट्रेसिंग (पटरी पर आ रहे तनाव को खत्म करने की प्रक्रिया) कराता रहता है, ताकि फ्रैक्चर से हादसे न हों। पर, पटरियों का इस प्रकार टेढ़ा होना अफसरों की लापरवाही उजागर करता है।

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