गीता प्रेस को मिला गांधी शांति पुरस्कार

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 गांधी की ही पार्टी ने किया विरोध, जैसे सावरकर को दिया सम्मान, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर कांग्रेस का बड़ा हमला

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. कहा गया है कि इस प्रेस ने गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर बदलावों में बड़ा योगदान दिया है.

Gita Press Award Controversy: जैसे सावरकर को दिया सम्मान, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर कांग्रेस का बड़ा हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एक कमेटी ने गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया है. विपक्षी कांग्रेस ने इसपर सवाल उठाए हैं. पार्टी के प्रवक्ता जयराम रमेश का कहना है कि प्रेस को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना, सावरकर और गोडसे को सम्मानित किए जाने के बराबर है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गीता प्रेस खासतौर पर धार्मिक ग्रंथों की प्रिंटिंग करता है.

पीएम की अगुवाई वाली ज्यूरी कमेटी का मानना है कि अहिंसा और गांधीवादी तरीकों से इस प्रेस ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों में बड़ा योगदान दिया है. कांग्रेस नेता ने अक्षय मुकुल कि लिखित ‘गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ किताब का कवर पेज शेयर किया है. रमेश ने बताया कि इस किताब में उन्होंने गीता प्रेस और महात्मा गांधी के बीच संबंधों का जिक्र किया है. जयराम रमेश ने गीता प्रेस के राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे का जिक्र किया और कहा कि गांधी शांति पुरस्कार से इस प्रेस को सम्मानित किया जाना, असल में सावरकर और गोडसे को सम्मानित किए जाने के बराबर है.

गीता प्रेस का मकसद सनातन धर्म का प्रचार

गीता प्रेस के आधिकारिक वेबसाइट gitapress .org पर प्रेस ने बताया कि ‘गीता प्रेस का मकसद गीता, रामायण, उपनिषद्, पुराण, प्रख्यात संतों के प्रवचन का प्रकाशन कर सनातन धर्म, हिन्दू धर्म के सिद्धान्तों का आम जनता में प्रचार-प्रसार करना है.’ वेबसाइट के मुताबिक इस प्रेस की स्थापना ‘ब्रह्मलीना जयदयालजी गोयंदका’ ने किया था. गीता प्रेस इस साल अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है. बताया जाता है कि इस प्रेस ने अबतक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ किताबें छापी हैं. अकेले 16.21 करोड़ भगवद गीता का प्रकाशन किया है.

क्या है गांधी शांति पुरस्कार?

गांधी शांति पुरस्कार की शुरुआत 1995 में की गई थी. गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाले व्यक्तिगत लोगों या फिर किसी संस्थान को वार्षिक स्तर पर दिया जाता है. प्राइज मनी के रूप में एक करोड़ रुपए दिए जाते हैं. इसके साथ ही एक साइटेशन यानी प्रशस्ति पत्र, प्लेक, हैंडिक्राफ्ट चीजें भी दी जाती है. हालांकि बताया जा रहा है कि प्रेस ने प्राइज मनी लेने से इनकार कर दिया है. इससे पहले पिछले इसरो और रामकृष्ण मिशन जैसे संगठन को इस खास पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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