इस बार महादेव का सावन 59 दिन का

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हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए सावन के महीने को सबसे उत्तम माना जाता है। इस पूरे माह में शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस बार सावन माह को बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस साल सावन एक नहीं बल्कि दो माह का होने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि ये अद्भुद योग करीब 19 साल बाद बन रहा है। दरअसल हिंदी विक्रम संवत 2080 में इस साल एक अधिकमास पड़ रहा है। ऐसे में इस साल 12 महीने की बजाय कुल 13 महीने होंगे। वहीं सावन का महीना 30 नहीं बल्कि करीब 59 दिन का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 4 के बजाय 8 सोमवार मिलेंगे।

कब से शुरू हो रहा है सावन 2023?
इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है और 31 अगस्त 2023 को इसका समापन होगा।  यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए करीब 59 दिन मिलने वाले हैं।

क्यों बन रहा अद्भुत संयोग ?

दरअसल वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है। वहीं सौर मास 365 दिन का। दोनों में करीब 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है। ऐसे में इस बार सावन दो महीने तक रहने वाला है।

सावन सोमवार की तिथियां

  1. सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
  2. सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
  3. सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
  4. सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
  5. सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
  6. सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
  7. सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
  8. सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त

सावन सोमवार पूजा विधि

  • सावन सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। 
  • अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें। 
  • सभी देवताओं पर गंगा जल चढ़ाएं। 
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। 
  • भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं।
  • सामग्री चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं।
  • सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए और अंत में आरती करनी चाहिए। 
  • भगवान शिव को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं। 

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