अब 5वीं और 8वीं में फेल होना पड़ेगा भारी

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अब से विद्यार्थियों को 5 वीं और 8 वीं क्लास में पास करना जरूरी, महाराष्ट्र शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला

महाराष्ट्र में स्कूल स्टूडेंट्स के लिए यह बेहद अहम खबर है. अब से अगली कक्षा में प्रवेश के लिए 5 वीं और 8 वीं में पास होना जरूरी होगा.

पुणे: महाराष्ट्र के स्कूल स्टूडेंट्स के लिए यह बहुत बड़ी खबर है. राज्य के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक बड़ा फैसला किया है. 5 वीं और 8 वीं के छात्र-छात्राओ को अब से अगली क्लास में जाने के लिए सालाना इम्तिहान पास करना जरूरी होगा. यानी पाचवीं और आठवीं के स्टूडेंट्स को अब छठी और नौवीं कक्षा में तभी प्रवेश मिलेगा जब वे एनुअल एग्जाम पास करेंगे. इस फैसले के संदर्भ में राज्य सरकारी की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है.

इससे पहले के नियमों के मुताबिक वार्षिक परीक्षाएं होती तो थीं लेकिन अगली कक्षा में प्रोमोट किए जाने के लिए यह कंपल्सरी नहीं था. महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा विभाग ने अब इन दोनों वर्गों के वार्षिक परीक्षाओं को पास करना जरूरी कर दिया है. इसके लिए 2011 के शिक्षा के अधिकार से जुड़े कानूनों में सुधार किया गया है और शिक्षा विभाग की ओर से 5वीं और 8 वीं की परीक्षाओं में पास करना जरूरी कर दिया गया है.

5 वीं और 8 वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर सप्लिमेंट्री एग्जाम देने का मौका

शुक्रवार को जारी किए गए आदेश के मुताबिक अब अगली कक्षा में तभी प्रवेश मिलेगा जब संबंधित छात्र या छात्राएं पाचवीं और आठवीं की परीक्षा पास किए हुए होंगे. 5 वीं और 8 वीं की परीक्षाओं में फेल हो जाने की हालत मेें फिर से परीक्षा यानी सप्लिमेंट्री एग्जाम में बैठने का विकल्प मिलेगा. अगर पूरक परीक्षा में भी कोई छात्र या छात्रा सफल नहीं हो पाते या पाती है तो उन्हें छठी या नौवीं में प्रोमोट नहीं किया जा सकेगा. ऐसी स्थिति में उन्हें फिर एक साल उसी कक्षा में रह कर पढ़ाई करनी पड़ेगी. हालांकि पांचवीं से पहले तक पुराने नियम ही बरकरार रहेंगे.

फेल करने पर क्लास रिपीट करना होगा, लेकिन किसी को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा

स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग की ओर से फिलहाल पांचवीं और आठवीं के लिए वार्षिक परीक्षा, पुनर्परीक्षा और मूल्यमापन की प्रक्रियाओं से संबंधित नियम अभी तय होने बाकी हैं. एनुएल एग्जाम के रिजल्ट आने के बाद दो महीने में पूरक परीक्षा आयोजित की जाएगी. पूरक परीक्षा भी पास न कर सकने पर उसी कक्षा में रहना पड़ेगा लेकिन जब तक प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी विद्यार्थी को स्कूल से निकाला नही जा सकेगा. अब तक आठवीं तक छात्रों को फेल न करने संबंधी शर्त के मुताबिक कमजोर छात्र सीधे नौवीं तक पहुंच जाते थे. फिर उन्हें नौवीं में काफी मुश्किलें पेश आती थीं. इससे उनकी शिक्षा की बुनियाद ही कमजोर रह जाती थी.

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