Antartica में पेंगुइन लेता है मात्र 4 सेकंड की ‘पावर नैप’, नींद पूरी करने का तरीका है दिलचस्प

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अंटार्कटिका में शोधकर्ताओं ने पहली बार पेंगुइन के सोने के तरीके पर रिसर्च की है और इसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. चाइनास्ट्रैप पेंगुइन समय-समय पर 4 सेकंड की पवर नैप लेकर एक दिन में 11 घंटों की नींद ले लेते हैं.

ये जानवर लेता है मात्र 4 सेकंड की 'पावर नैप', नींद पूरी करने का तरीका है दिलचस्प

इंसान हो या जानवर सभी काम करने के बाद थक जाते हैं. खासकर तब जब उन पर छोटे बच्चे की ध्यान रखने की जिम्मेदारी होती है. एक नवजात के ध्यान रखने में पैरेंट्स की नींद पूरी नहीं हो पाती लेकिन पेंगुइन की एक प्रजाति ने इसका हल निकाल लिया है. इस प्रजाति के पेंगुइन अपने अंडों का ध्यान भी रख पाते हैं और औसत इंसान से ज्यादा की नींद भी ले लेते हैं.

अंटार्कटिका में शोधकर्ताओं ने पहली बार पेंगुइन के सोने के तरीके पर रिसर्च की और इसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिसर्च बताती है कि इनके सोने का तरीका यह समझाता है कि कैसे अपनी जिम्मेदारी को निभाने को साथ नींद भी पूरी की जा सकती है.

कितनी लंबी होती है पेंगुइन की माइक्रो स्लीप?

पेंगुइन की झपकी यानी माइक्रो स्लीप कितनी लम्बी होती है और वो इसे कैसे पूरा करती है. यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में पाई जाने वाली चाइनास्ट्रैप पेंगुइन प्रजाति के दिमाग की तरंगों को मापा. इन्हें मापने के लिए ब्रेन की स्कैनिंग और गर्दन के मूवमेंट को ट्रैक किया गया. 14 चाइनास्ट्रैप पेंगुइन पर 11 दिनों तक शोध किया गया.

शोध में सामने आया कि चाइनास्ट्रैप पेंगुइन पूरे दिन समय-समय पर 4 सेकंड की माइक्रो स्लीप लेती हैं. इस तरह वो कुल मिलाकर एक दिन में 11 घंटों की नींद ले लेते हैं.

शोधकर्ता भी हैरान हैं कि कैसे इतने कम समय की माइक्रो स्लीप के साथ पेंगुइन अपने बच्चों का ठीक तरह से ध्यान रख लेती हैं. ऐसा नहीं है कि बाकी जानवर ऐसी झपकी नहीं लेते हैं. लेकिन पेंगुइन के झपकी लेने का समय और दर एक अलग ही चरम पर है.

क्या 4 सेकंड की झपकियां एक लंबी नींद से बेहतर हैं?

अब सवाल उठता है कि क्या इंसानों के लिए भी पेंगुइन की तरह माइक्रो स्लीप लेना बेहतर होगा? इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर इन पेंगुइन को छोटी-छोटी झपकी लेने की जरूरत क्यों पड़ी.

दरअसल, चाइनास्ट्रैप पेंगुइन एक तनाव वाले वातावरण में रहते हैं. वो भीड़-भाड़ वाली कॉलोनियों में प्रजनन करते हैं. उन्हें अपने चूजों की सुरक्षा का खास ध्यान रखना पड़ता है. वैसै तो उनका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं होता है. लेकिन कुछ बड़े पक्षियों की नजर इन पेंगुइन के अंडों और चूजों पर रहती है. साथ ही वयस्क पेंगुइन भी दूसरे पेंगुइन के घोंसले से कंकड़-पत्थर चुराने की फिराक में रहते हैं. ऐसे में पैरेंट पेंगुइन को पक्षियों और बाकी पेंगुइन से अपने घोंसले और चूजों को रात-दिन बचाना होता है.

तनाव के कारण नहीं ले पाते गहरी नींद

इस तरह खतरे और तनाव के वातावरण के बीच पैरेंट पेंगुइन का गहरी नींद लेना मुमकिन नहीं होता है. इसलिए चाइनास्ट्रैप पेंगुइन बीच-बीच में 4 सेकंड की माइक्रो स्लीप लेते रहते हैं. इस तरह वो पूरे दिन अपने चूजों की हिफ़ाज़त कर पाते हैं और साथ ही एक दिन में 11 घंटों की माइक्रो स्लीप भी ले लेते हैं.

अब बात करते हैं माइक्रो स्लीप के फायदों की. Neuroscience Research Center of Lyon के स्लीप रिसर्चर ने चाइनास्ट्रैप पेंगुइन पर हुए शोध पर कहा, ‘हम अभी तक नहीं जानते हैं कि माइक्रोस्लीप और लंबी समेकित नींद के फायदे समान हैं या नहीं.’

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