दुनिया भर में ब्रज की होली का अपना महत्व है। देश-विदेश से लोग ब्रज की होली का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं और जमकर ब्रज की होली का आनंद लेते हैं।
ardhsatyanews.com
25 मार्च को पूरे भारत में होली का त्योहार मनाया जाएगा। 24 मार्च को होलिका दहन और 25 मार्च को रंग खेला जाएगा। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में होली का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान कृष्ण से संबंधित माना जाता है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना के शहर अपने प्रसिद्ध होली अनुष्ठानों के लिए जाने जाते हैं। बरसाना में लट्ठमार होली का त्योहार दुनियाभर में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ब्रज में 40 दिनों तक होली का उत्सव चलता है। हर दिन मंदिरों में विभिन्न त्योहार होते हैं। हालांकि, होली के 7 दिनों के दौरान असली उत्साह बढ़ता है। इसकी शुरुआत बरसाना लड्डू होली और लट्ठमार होली से होती है।
मथुरा-वृंदावन की होली | |
17 मार्च | बरसाना के राधा रानी मंदिर में फाग आमंत्रण महोत्सव एवं लड्डू होली |
18 मार्च | बरसाना के राधा रानी मंदिर में लट्ठमार होली |
19 मार्च | लट्ठमार होली नंदगांव |
20 मार्च | फूलवाली होली बांके बिहारी वृंदावन |
20 मार्च | कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में होली |
21 मार्च | गोकुल में छड़ी मार होली |
23 मार्च | राधा गोपीनाथ मंदिर वृन्दावन में विधवा महिलाओं द्वारा खेली जाने वाली होली |
24 मार्च | होलिका दहन और बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली |
25 मार्च | रंग वाली होली मथुरा-वृंदावन |
26 मार्च | बलदेव में दाऊजी मंदिर पर हुरंगा होली। ब्रज में बलदेव के हुरंगे वाले दिन तक होली समाप्ति की ओर होती है, जिसके चलते सभी अधिकारी हुरंगे में पहुंचते हैं। |
होली की पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी ही एक किंवदंती भगवान कृष्ण के बचपन के इर्द-गिर्द घूमती है। एक युवा लड़के के रूप में उन्होंने अपने और देवी राधा के बीच त्वचा के रंग में अंतर देखा। जवाब में उनकी मां यशोदा ने राधा के रंग को जीवंत रंगों को लागू करने का एक चंचल समाधान सुझाया। इस प्रकार ब्रज की होली की खुशी की परंपरा को जन्म दिया। एक और मनोरम कहानी प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप के इर्द-गिर्द केंद्रित है। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को अपने पिता हिरण्यकश्यप के विरोध का सामना करना पड़ा, जो अपने बेटे की निष्ठा चाहता था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे अ्ग्निदेव का वरदान मिला था। भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए एक दुष्ट योजना तैयार की और होलिका अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन प्रह्लाद बच गए और होलिका का अंत हो गया। इस घटना से होलिका दहन मनाया जाने लगा।