अजब गांव की गजब कहानी : सरकारी नौकरी वालों से भर गया छोटा सा गांव

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एमपी के सागर में एक अनोखा मंदिर है। सागर-रहली मार्ग पर ढाना के पास बने इस ऐतिहासिक शिव मंदिर को पटनेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। करीब 800 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण सागर के तत्कालीन राजा की पत्नी लक्ष्मी बाई खेर ने कराया था। यहां स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं। पूरे इलाके में इसे सिद्ध स्थान कहा जाता है। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि इस मंदिर के कारण ही ढाणा गांव के लोग अमीर हो गए। मान्यता है कि मंदिर में सेवा करनेवाले की सरकारी नौकरी लग जाती है। लोग यूं ही यह बात नहीं कहते, तथ्य भी इसकी तस्दीक करते हैं। हकीकत यह है कि छोटे से गांव ढाणा के 200 से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियों में हैं। इनमें से ज्यादातर या तो पुलिस विभाग में हैं या टीचर हैं। सागर जिला मुख्यालय से ढाणा गांव करीब 20 किलोमीटर दूर है। गांव में शत प्रतिशत साक्षरता है, कई लोग उच्च शिक्षित हैं। इसे एमपी के सबसे संपन्न गांवों में शामिल किया जाता है। लोग कहते हैं कि प्राचीन पटनेश्वर धाम शिव मंदिर के कारण यहां संपन्नता है।

इस मंदिर का निर्माण मराठा काल में हुआ था। इसे सिद्ध स्थान कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी युवा यहां सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है, उसकी नौकरी लग जाती है। लोग उदाहरण भी गिनाते हैं।हाल ये है कि गांव के हर दूसरे घर में सरकारी कर्मचारी रहते हैं। यहां 200 से ज्यादा सरकारी कर्मचा​रियों के मकान हैं।

ढाना में रह रहे नेत्र विशेषज्ञ डीपी तिवारी लंदन छोड़कर यहां रहने आए। उनका सागर में हॉस्पिटल है। गांव के महेंद्र कुमार पटेरिया डीआईजी रहे हैं। राम कुशल तिवारी के बेटे की भी पिछले साल ही पुलिस की नौकरी लगी है। यही कारण है कि गांव के अधिकांश युवा सुबह शाम मंदिर में दिखते हैं। पूजा अर्चना के साथ साफ सफाई और अन्य सेवाकार्य करते रहते हैं। मंदिर का निर्माण लक्ष्मीबाई खेर ने कराया जोकि सागर के राजा की रानी थीं। वे काफी धार्मिक थीं। पहले गांव का नाम पटना होने के कारण मंदिर पटनेश्वर धाम कहलाने लगा। वहीं धनाढ्य लोगों की वजह से गांव का नाम ढाना पड़ गया।

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