Bombay HC : अयोग्यता के लिए सौतेले बच्चों की गिनती नहीं

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2 सौतेले और एक अपना बच्चा, इसलिए महिला की चली गई पंचायत सदस्यता, अब हाई कोर्ट ने दिया अहम फैसला

महाराष्ट्र में नियम है कि अगर किसी शख्स के 2 से ज्यादा बच्चे हैं तो वह पंचायत सदस्य नहीं बन सकता। इसी आधार पर खैरुनिसा नाम की महिला की पंचायत सदस्यता चली गई। उसके 3 बच्चे थे जिनमें 2 सौतेले थे। अब हाई कोर्ट ने उसे राहत देते हुए कहा है कि 2 बच्चों की सीमा में सिर्फ जैविक संतानें आएंगी।

Bombay High Court

हाइलाइट्स

  • महाराष्ट्र में 2 से ज्यादा बच्चे होने की वजह से पंचायत सदस्यता गंवाने वाली महिला को बड़ी राहत
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- 2 बच्चों की सीमा में सिर्फ जैविक संतानें ही गिनी जाएंगी
  • महिला के 2 सौतेले बच्चे थे और एक खुद का बच्चा था, HC ने कहा अयोग्यता के लिए सौतेले बच्चों की गिनती नहीं

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शनिवार को व्यवस्था दी कि महाराष्ट्र में पंचायत सदस्यों के लिए तय दो बच्चों की सीमा में केवल जैविक संतानें शामिल होंगी, सौतेले बच्चे नहीं। जस्टिस ए. एस. चंदुरकर और जस्टिस वृषाली जोशी की बेंच ने खैरुनिसा शेख चांद की याचिका की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर करने का सिंगल बेंच को निर्देश दिया।

खैरुनिसा को ग्राम पंचायत सदस्य के तौर पर इसलिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था कि उनके दो से अधिक बच्चे हैं। महिला ने दावा किया कि उनके पति शेख चांद को पिछली शादी से दो बेटे थे, लेकिन उनकी शादी से केवल एक ही संतान है।

सिंगल बेंच ने यह स्पष्ट करने के लिए मामले को खंडपीठ के सुपुर्द कर दिया कि क्या महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम के प्रावधानों में ‘दो बच्चे’ शब्द का इस्तेमाल सामान्य अर्थ में सौतेले बच्चों को शामिल करने के लिए किया गया है या सीमित अर्थ में केवल उनसे पैदा हुए बच्चों को शामिल करने के लिए किया गया है।

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘एक पुरुष सदस्य के संदर्भ में ‘दो बच्चे’ की अभिव्यक्ति में उस व्यक्ति के सभी बच्चे शामिल होंगे, जिनके जन्म के लिए वह ज़िम्मेदार है, इस तथ्य के बावजूद कि वे उसके पिछले और/या वर्तमान विवाह से पैदा हुए थे। एक महिला सदस्य के संदर्भ में, इसमें वे सभी बच्चे शामिल होंगे, जिन्हें उस महिला ने जन्म दिया है। इस मामले में इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया जाएगा कि ये बच्चे उसके पिछले और/या वर्तमान विवाह से पैदा हुए हैं।’

याचिकाकर्ता के वकील सुकृत सोहोनी ने दलील दी कि अधिनियम के तहत ‘दो बच्चों’ का अर्थ केवल संबंधित व्यक्ति के जैविक बच्चे से होंगे और अयोग्यता के लिए व्यक्ति के सौतेले बच्चों पर विचार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा, ‘इसलिए यह व्यवस्था दी जाती है कि अभिव्यक्ति ‘दो बच्चे’ उस ‘व्यक्ति’ से संबंधित है, जो पंचायत का सदस्य है और जिसे अयोग्य घोषित करने की मांग की जा रही है।’ इसमें कहा गया है कि पुरुष सदस्य के मामले में, यदि वह कितनी भी शादियां करने के बावजूद दो से अधिक बच्चों के जन्म के लिए जिम्मेदार है, तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।अदालत ने कहा, ‘उक्त प्रावधान का उद्देश्य उस व्यक्ति के पुनर्विवाह को हतोत्साहित करना नहीं है, जिसके पिछले विवाह से दो से अधिक बच्चे हैं।’

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