भारतीय कृषि के एक युग का अंत : 98 साल की उम्र में हरित क्रांति के जनक M.S. Swaminathan का निधन

Spread the love
MS Swaminathan

भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे। 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों का विकास किया था।

नई दिल्ली। भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया है। उन्होंने 98 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। स्वामीनाथन को खेती के प्रति अनोखे दृष्टिकोण के लिए जाना जाता था। उन्होंने आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों को स्थानीय परिस्थितियों और जरूरतों की गहरी समझ के साथ जोड़कर पेश किया। उन्होंने अनगिनत किसानों का जीवन बदला था।

स्वामीनाथन भारत के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे। वह भारत के हरित क्रांति के ड्राइविंग फोर्स थे। उन्हें ‘फादर ऑफ इकोनॉमिक इकोलॉजी’ के नाम से भी जाना जाता है। स्वामीनाथन के 1960-1970 के दशक में अभूतपूर्व कार्य किए थे। उन्होंने भारतीय कृषि में क्रांति ला दी थी। इससे भारत अकाल से निपट पाया और खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर सका।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया शोक

एमएस स्वामीनाथन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया, “डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया था। उन्होंने हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।”

स्वामीनाथन ने विकसित किए थे अधिक उपज देने वाले गेहूं और चावल के किस्म

स्वामीनाथन के अग्रणी प्रयासों में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों का विकास और इससे किसानों को परिचय करना शामिल है। इससे पूरे भारत में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने पुरस्कार राशि का उपयोग चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना के लिए किया। यह फाउंडेशन टिकाऊ और समावेशी कृषि के क्षेत्र में काम कर रहा है।

स्वामीनाथन को मिला था रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार मिला था। स्वामीनाथन वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कृषि और पर्यावरण पहल में योगदान दिया था। टाइम पत्रिका द्वारा उन्हें 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक नामित किया गया था। स्वामीनाथन के परिवार में उनकी पत्नी मीना और तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। उनका निधन भारतीय कृषि में एक युग के अंत की तरह है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *