Karnataka Temple Tax Bill : ,

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कर्नाटक में हिंदू मंदिरों पर टैक्स विवाद, कानून में बदलाव, कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 है। इसमें संशोधन के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक 2024 लाया गया।  

कर्नाटक का मंदिरों से जुड़ा एक विधेयक इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। दरअसल, शुक्रवार (23 फरवरी) को राज्य सरकार ने विधान परिषद में ‘हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक’ पेश किया। विपक्षी दलों भाजपा और जेडीएस के विरोध के चलते यह विधेयक सदन से पारित नहीं हो सका। 

हालांकि, पेश करने से पहले ही विपक्ष इस बिल का विरोध करता आ रहा है। भाजपा और जेडीएस का आरोप है कि सरकार मंदिरों पर टैक्स लगाकर अपने खाली खजाने को भरना चाहती है। वहीं, कांग्रेस सरकार का दावा है कि 2011 में भाजपा सरकार भी ऐसा ही विधेयक लेकर आई थी। 

कर्नाटक सरकार

Karnataka Hindu Temple Tax Bill controversy and the amendments proposed

हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ संशोधन विधेयक

कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया गया। विधान परिषद में विपक्ष के पास बहुमत है, ऐसे में विपक्ष के विरोध के चलते सदन से यह विधेयक पारित नहीं हो सका। 

दरअसल, कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 है जिसमें संशोधन के लिए यह बिल लाया गया। बिल के जरिए अधिनयिम की धारा 17 में संशोधन करना है। इस कानून की धारा 17 में फंड के लिए एक सामान्य पूल बनाने का प्रावधान है। कर्नाटक सरकार के अनुसार, 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने कानून में संशोधन किया था। इस बदलाव के जरिए सामान्य पूल फंड का उपयोग करके कम आय वाले मंदिरों की मदद करने के लिए अधिक आय के मंदिरों से धन इकट्ठा करने में सक्षम बनाया गया। बता दें कि कम आय वाले मंदिरों को ‘सी’ श्रेणी जबकि अधिक आय वाले को ‘ए’ श्रेणी में रखा गया है। 

सरकार के अनुसार, 2011 के संशोधन के जरिए पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच वार्षिक आय वाले मंदिरों को अपनी शुद्ध आय का पांच फीसदी हिस्सा देना होता है। वहीं ऐसे मंदिर जिनकी वार्षिक आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे 10 फीसदी हिस्सेदारी देनी होती है।

विपक्ष के विरोध के चलते सदन से यह विधेयक पारित नहीं हो सका

Karnataka Hindu Temple Tax Bill controversy and the amendments proposed


कर्नाटक सरकार का कहना है कि उसने 10 लाख रुपये और उससे कम वार्षिक आय वाले मंदिरों को छूट देने का प्रस्ताव दिया है। उन्हें सामान्य पूल फंड में योगदान देने की जरूरत नहीं होगी। संशोधन में प्रस्ताव है कि 10 लाख से अधिक और एक करोड़ रुपये से कम की वार्षिक आय वाले मंदिरों को पांच फीसदी और एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले मंदिरों को अपनी वार्षिक आय का 10 फीसदी देना होगा।

विधेयक में मंदिरों की कमाई से प्राप्त फंड को एक कॉमन पूल फंड में रखे जाने का प्रावधान है, जिसका प्रबंधन राज्य धार्मिक परिषद करेगी। विधेयक में कहा गया है कि इस फंड से राज्य के ‘सी’ कैटेगरी के उन मंदिरों के पुजारियों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिनकी कमाई सालाना पांच लाख से कम है। 

बिल का विरोध कर रहा है विपक्ष

भाजपा और जेडीएस शुरुआत से इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार मंदिरों पर टैक्स लगाकर अपने खाली खजाने को भरना चाहती है। इनके अनुसार, सरकार को कम कमाई वाले मंदिरों के पुजारियों के लिए कल्याण के लिए बजट में अलग से फंड का प्रावधान करना चाहिए। 

कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है।  पार्टी ने कांग्रेस सरकार को हिंदू विरोधी बताया है। कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस सरकार राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है और अब उनकी नजर हिंदू मंदिरों पर है। सरकार ने यह विधेयक अपने खाली खजाने को भरने के लिए पारित किया है।’

कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘ये सरकार मंदिरों की एक करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाएगी, ये और कुछ नहीं गरीबी है। श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाने वाला चंदा मंदिरों के पुनर्निर्माण और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने में इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन अगर ये किसी अन्य उद्देश्य से आवंटित किया जाता है तो ये लोगों की आस्था के साथ धोखा होगा।’ येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार सिर्फ हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। 

कांग्रेस सरकार का रुख

विपक्ष के आरोपों पर कांग्रेस सरकार के मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने जवाब दिया है। रेड्डी ने कहा कि भाजपा धर्म को लेकर राजनीति कर रही है जबकि, कांग्रेस हिंदू धर्म की सबसे बड़ी हितकारी है। कांग्रेस ने कहा कि उनकी सरकार ने लगातार हिंदू मंदिरों और हिंदू हितों को सुरक्षित किया है। वहीं, बदलाव को लेकर कर्नाटक सरकार ने कहा है कि फिलहाल कॉमन पूल फंड को सालाना केवल आठ करोड़ रुपये मिल रहे हैं। यह राशि बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। वहीं ‘सी’ समूह के मंदिरों के पुजारियों और कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की भी सख्त जरूरत है। इसके लिए सामान्य पूल में धन की उपलब्धता बढ़ाने की आवश्यकता है। यही कारण है कि सरकार को कानून में संशोधन करने का निर्णय लेना पड़ा। मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने यह भी कहा है कि विधेयक को सोमवार को विधानसभा में फिर से रखेंगे।

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